संस्कृति

डरपोक बाघ और चालाक सियार की कहानी

बड़ी पुरानी बात है जंगल के राजा बाघ और हाथी के बीच भयंकर लड़ाई हो गयी. 22 दिन 22 रात चली इस लड़ाई में बाघ मारा गया. बाघ के मारे जाने के बाद जंगल में कोई राजा न हुआ. बाघ की पत्नी अपने छोटे बच्चे को लेकर जंगल के कोनों में छुप-छुप कर रहने लगी. रात के अंधेरे में वह छोटे-मोटे शिकार करती और दोनों मां-बेटों का गुजारा होता.
(Uttarakhand Folk Story Baagh Siyaar)

बाघ का बेटा छुप-छुपकर रहते हुये ही बड़ा होने लगा. छुप-छुपकर जिन्दगी जीने की वजह से वह एकदम डरपोक हो गया. इतना डरपोक की झाड़ी में खरगोश के चलने की सरसराहट से ही झसकी जाता. अपने बेटे को ऐसा डरपोक होता देख उसकी मां बड़ी परेशान होती. सोचती इतने बड़े जंगल को ऐसा डरपोक राजा कैसे जो संभालेगा.

एक दिन एक उड्यार के पास से जब मां-बेटे गुजरे तो उनको सियार के बच्चों की क्वां-क्वां सुनाई दी. बाघिन ने एक कोना पकड़ते हुये अपने बेटे से कहा- ये उड्यार के पास जाकर देख आ तो कहीं सियार के बच्चे तो नहीं हैं.

पहले तो बाघ के बेटे में अकेले कदम बढ़ाने की हिम्मत ही नहीं हुई पर दिन का उजाला और मां का साथ देख पीछे-पीछे देखते हुये वह उड्यार की तरफ गया. उसने उड्यार के कोने से झाँका तो उसे एक साथ सियार के तीन-चार बच्चे खेलते नजर आ गये. तभी अचानक सियार जंगल से मांस का टुकड़ा मुंह में लिये उड्यार की तरफ आने लगा. उसे देखते ही बाघ का बच्चा भाग खड़ा हुआ. दूर से सारा दृश्य देख रही बाघ की मां को अपने बेटे की इस हरकत पर बड़ा गुस्सा आया.

हांफता हुआ बाघ का बेटा अपनी मां के पास आया तो उसने बताया- मां वहां तो एक सियारिन ब्या रखी है और उसके तीन-चार बच्चे हुये हैं लेकिन उनके साथ एक सियार भी है. माँ ने कहा- तू कैसा बाघ है रे, एक सियार से डर गया. अब जब तक तू सियार के बच्चे नहीं मार लायेगा मेरे से बात मत करना. इतना कहकर मां ने उसकी ओर पीठ फरका दी.
(Uttarakhand Folk Story Baagh Siyaar)

बाघ के बच्चे का पीछा करते हुये आये सियार ने दोनों की बात सुन ली. डरा-सहमा सियार उड्यार में आकर अपनी पत्नी को सब बता देता है. पूरी रात सियार उड्यार के मुंह पर चांद को देखता पहरेदारी करता है. सुबह की पहली रौशनी के साथ उसका दिमाग काम करता है और वह अपनी पत्नी और बच्चों के उठने का इंतजार करता है.

इधर बाघ का बेटा भी इस ताक में रहता है कि सियार घर से बाहर जाये तो उसके पीठ पीछे वह उसके बच्चों पर हाथ साफ कर अपनी माँ को मना ले. जब सियारिन और बच्चे उठते हैं तो सियार अपनी पत्नी से उसके कान में कुछ कहता है और थोड़ी देर में उड्यार के ऊपर खड़ा हो जाता है.

सियारिन अपने बच्चों को पंजे से हल्के-हल्के कपोरती है जिससे बच्चे जोर-जोर से क्वां-क्वां करने लगते हैं. सियार के बच्चों की क्वां-क्वां सुनते ही बाघ के बेटे का ध्यान भी उड्यार की ओर जाता है. वह देखता है उड्यार के ऊपर सियार खड़ा है और जोर से पूछ रहा है- क्या हुआ रे क्यों रो रे हैं बच्चे जो?

उड्यार के भीतर से सियारिन की आवाज आती है- अरे जो बाघ कल तुमने मारा था उसका मांस बासी हो गया है, ये अब बाघ का ताज़ा-ताज़ा मांस मांग रहे हैं. इतना सुनते ही बाघ का बेटा वहां से हवा हो गया. उसकी बेचारी मां भी उसकी रक्षा के लिये उसके पीछे-पीछे भागने लगी.
(Uttarakhand Folk Story Baagh Siyaar)

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