Featured

समधी के ओड्यार में तीन रातें

हमें घर से निकले पांच-छह दिन तो हो ही गए होंगे और पिछले चार दिन से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. जिस दिन से हम कनार से ऊपर चले तब से मानो असमान हमसे नाराज हो गया. पहले दिन हमने कनार से भैमण तक का घना जंगल भीषण बारिश में पार किया और जोंकों ने भी स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी. (Travelogue by Vinod Upreti 2)

छिपला की तरफ हम तेजम ख्या तक अगले दिन गए और दो रात भटियाखान में जिंदादिल अण्वाल टिक्कू के साथ काटी. कनार से हमारे साथ टिक्कू का बड़ा भाई और हमारा जिगरी यार जीतू भी था. साथ ही गोपाल और जसोद दा भी. खग्गी दा, लोकेश दा और गणेश तो पिथौरागढ़ से साथ थे ही. इस बार हमारा दल बड़ा ही था.

भैमण-भटियाखान की बातें फिर कभी. यहाँ से हम एक बहुत अबूझ रास्ते से निकले छिपला के दूसरे छोर कर्च-भनार की तरफ. नौकाना का भव्य और अनुछुआ बुग्याल हमने तेज हवा और बारिश में पार किया जहाँ जशोद दा और गोपाल कोहरे में लगभग भटक कर खो ही गए होते अगर हमारे साथ जीतू जैसा धाकड़ पहाड़ी अण्वाल न होता.

खैर जैसे-तैसे हम भनार में पंहुचे तो सामने जो देखा यकायक उसपर यकीन ही न हुआ. उलटी ढाल वाली चट्टानों की खोहों को सामने से पत्थरों और बुग्याल की घास से ढंक कर बहुत सुन्दर उड्यार बनाये हुए थे. बाहर से देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल था कि अन्दर क्या होगा?

वहां पर ऐसे शायद तीन डेरे थे. एक सबसे ऊपर जहाँ हम पंहुचे थे और दो लगभग आधा किलोमीटर नीचे. सबसे ऊपर के डेरे का अण्वाल गाँव के किसी रिश्ते से जीतू का समधी लगता था. लिहाजा वह हमारा भी समधी हो गया. हालाँकि उम्र का लिहाज करते हुए गणेश उसे बूबू ही बोलता रहा. वैसे समधी का असल नाम प्रेम सिंह हुआ.

समधी इस दुनिया के बहुत चुनिन्दा सबसे प्यारे इंसानों में से एक तो था ही. ऐसा जिंदादिल और खुशमिजाज इंसान ऐसे डाणे में इतनी दूर आकर मिलेगा ऐसा सोचा भी न था. खैर जशोद दा नीचे वाले डेरे में चले गए और बाकी हम सब टिके समधी के ओड्यार में. इस ओड्यार में बीती तीन रातों और दो दिनों पर दर्जनों पन्ने काले किये जा सकते हैं, इसलिए लौटते हैं मादा पर. (Travelogue by Vinod Upreti 2)

तो हुआ कुछ यूँ कि एक सुबह ओड्यार से बाहर कुछ दूरी पर मुझे एक डाफी (मादा मुनाल) नजर आई. हालाँकि मेरे पास कोई ख़ास ज़ूम वाला कैमरा नहीं था और न मुझे परिंदों की तस्वीरें उतारने का कोई तुजुर्बा. फिर भी मैं दबे पांव उसके जितने करीब जा सकता था जाता रहा और तस्वीरें लेता रहा, तब तक जब तक कि वह बेहद तेज और फुर्तीला परिंदा उड़ नहीं गया.

वापस आकर हमने चाय चड़ाई और चिलम में कोयले रखे. समधी एक ऐसा प्राणी था जिसके पास संसार के हर सवाल का जबाव था और हर घटना की अपनी ही व्याख्या. समधी ने हमें मोनाल के बारे में बताना शुरू किया. एक बेहद चटक रंगों में रंगा परिंदा जिसके सर पर सुन्दर कलगी होती है. रातपा की झाड़ियों के बीच घौसला बनाता है. डाफी बड़ी होती है और मोनाल छोटा. आदि बहुत सी बातें समधी ने बाताई. फिर एक बात ऐसी कही जो हम सबको कुछ हजम नहीं हुई. उसने कहा कि मोनाल मादा होता है. (Travelogue by Vinod Upreti 2)

जहाँ तक हमने पढ़ा सुना था उसके मुताबिक़ तो मोनाल नर होता था और डाफी मादा. हमने जोर देकर कहा कि मोनाल मादा नहीं होता. डाफी अंडे देती है, वह होती है मादा. समधी ने यह बात मानी कि डाफी ही अंडे देती है लेकिन यह बात नहीं मानी कि वह मादा है. वह अपनी बात पर अड़ा रहा कि मोनाल मादा होता है और हम अपनी बात पर कि डाफी मादा होता है. उसने और बहुत परिदों के उदाहरण भी दिए और अंत में जो बात कही उससे हम भी मान गए कि मोनाल मादा ही होता है.

उसने कहा – मोनाल मादा होता है और डाफी होती है मादिन… समझे कुछ? खाली किताब पढ़ कर आ जाते हैं बुग्याल में…

लॉकडाउन के बारहवें दिन विनोद द्वारा बनाई गयी पेंटिंग.

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

विनोद उप्रेती

पिथौरागढ़ में रहने वाले विनोद उप्रेती शिक्षा के पेशे से जुड़े हैं. फोटोग्राफी शौक रखने वाले विनोद ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों की अनेक यात्राएं की हैं और उनका गद्य बहुत सुन्दर है. विनोद को जानने वाले उनके आला दर्जे के सेन्स ऑफ़ ह्यूमर से वाकिफ हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

1 day ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

1 day ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

5 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago