विविध

इस तरह ‘गिर्दा’ पीढ़ियों के आंदोलनों को ओज से भरेंगे

आजकल सोशल मीडिया पर ही सही उत्तराखण्ड में नया भू-कानून लागू करने के लिए अभियान चल रहा है. इस अभियान में युवाओं की ज्यादा भागीदारी दिखाई देती है. इस अभियान की आहट विधानसभा में भी सुनाई देती है. पक्ष-विपक्ष के कई नेता और मंत्री-मुख्यमंत्री तक इस नए कानून को लाने की सहमति जाता चुके हैं. इस अभियान के दौरान कई नारे भी जन्मे. जब बात आई है किसी गीत से प्रेरणा लेने की तो इन युवाओं ने भी गिर्दा को ढूँढ़ निकाला. इस तरह अतीत के आंदोलनों को धार और प्रेरणा देने वाले गिर्दा इस आन्दोलन का भी नेतृत्व करते दिख रहे हैं. उत्तराखण्ड आन्दोलन के इस बेहद चर्चित गीत को नयी पीढ़ी के युवा संगीतकार-गायक रोहित ने गाया है. ‘हम लड़ते रयां भूलों, हम लड़ते रूंला.’ (This Way ‘Girda’ will also fill the movements of generations with energy)

गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ उत्तराखण्ड के जाने-माने कवि, रंगकर्मी और संगीतकार थे. इन सबके साथ वे जनता के संघर्षों के सहज योद्धा भी थे. उत्तराखण्ड के कई आंदोलनों में गिर्दा खुद एक एक्टिविस्ट के रूप में रहे. इन्हीं आंदोलनों में उनके लिखे-गीतों कविताओं ने लोगों को प्रेरणा देने का काम भी किया. कई भूमिकाओं में दिखाई देने वाले गिर्दा की कोई एक भूमिका कहाँ शुरू होती है और कहाँ ख़त्म होकर वे दूसरी में दिखाई देने लगते हैं कहना बहुत मुश्किल है. आज जब गिर्दा नहीं हैं तब उनके गीत हिमालय की व्यथा-कथा कह रहे हैं. आज भी वे आंदोलनों के साथ अपने ओजस्वी गीतों के माध्यम से बने हुए हैं. आज जब युवाओं के बीच भू-कानून का मुद्दा जोर पकड़ चुका है तब गिर्दा का गीत, ‘हम लड़ते रयां भूलों, हम लड़ते रूंला,’ उनका जोश बढ़ाने के लिए गूँज रहा है. यही गीत उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों की भी प्रेरणा था. जब भी उत्तराखण्ड के हितों की कोई लड़ाई उठ खड़ी होगी गिर्दा के गीत उस लड़ाई को रोशनी दिखाते गूंजने लगेंगे.

मूल रूप से उत्तराखण्ड के बागेश्वर के रहने वाले रोहित आर्या उत्तराखण्ड के उन युवा गायकों में शामिल हैं जो गायकी में अपना भविष्य बनाने के लिए हाथ आजमा रहे हैं. रोहित के पिता आर्मी में हैं तो स्कूली पढाई-लिखाई शिलॉंग से हुई और उच्च शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय से.

10 बरस की उम्र में रोहित को गायकी की लगन लगी. सोनू निगम को अपना आदर्श मानकर संगीत साधना शुरू की. स्कूल-कॉलेज के दिनों में स्टेज शो किये और कुछ रॉक बैंड्स के साथ भी गाया. लेकिन देहरादून से पोस्ट ग्रेजुएशन करने तक भी उनका सिंगिंग में बहुत गहरे डूबने का कोई इरादा नहीं था. सो पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब करने लगे लेकिन मामला कुछ जमा नहीं. तब निकल पड़े संगीत की दुनिया में ही कुछ कर गुजरने का इरादा लिए.

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Sudhir Kumar

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