बरेली के मठ लक्ष्मीपुर में इरफ़ान अली पिछले १५ सालों से अपने दो भाइयों नाज़िम और नौशाद के साथ मुक़द्दस माह-ए-रमज़ान और सावन में रोजादारों और भक्तों के लिए सेवइयां बनाते हैं. वे मैदे से इन सेवियों को तैयार करते हैं. मैदे और पानी को मिक्सर में गूंदा जाता है और उसको पीतल की सौ नम्बर की जाली से छान लिया जाता है. बाहर निकाल कर सूत की तरह लम्बी सेवइयों को बांस के किसी लम्बे डंडे में दोनों ओर लटका कर दो लोगों द्वारा सुखाने के लिए लकड़ी के बने अड्डों में फैला दिया जाता है. थोड़ा सूखने के बाद उन्हें हिलाकर अलग अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इन्हें हल्की आंच में सुखाकर गठरी जैसे बंडल बना कर रखा जाता है. धीमी आंच में इन्हें पकने में करीब १८ घंटे लगते हैं. जब इनका रंग हल्का भूरा हो जाता है तो मान लिया जाता है कि अब यह खाने योग्य तैयार हो गयी है. (Famous Sewai of Bareilly)
रोहित उमराव का फोटो निबन्ध:
बेहतरीन फोटो पत्रकार रोहित उमराव लम्बे समय तक अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान जैसे समाचार पत्रों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे. मूलतः उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अस्धना से ताल्लुक रखने वाले रोहित ने देश विदेश की यात्रायें की हैं और वहां के जीवन को अपने कैमरे में उतारा है. फिलहाल फ्रीलान्सिंग करते हैं.
मिर्च की चद्दर – रोहित उमराव के फोटो
कैसे बनता है बरेली का मांझा : एक फोटो निबंध
पीलीभीत की बांसुरी – रोहित उमराव के फोटो
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…
-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…
1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…
कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…
‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…
वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…