टनकपुर किताब कौथिग का दूसरा दिन यानी 25 दिसंबर 2022 की सुबह बड़ी सुहावनी थी. सच कहूं तो उत्सुकतावश नींद ही नहीं आई क्योंकि उस सुबह हमें जाना था वन्यजीव विशेषज्ञ राजेंद्र भट्ट के साथ नेचर वॉक पर. यह अपने तरीके का अनोखा एडवेंचर था. दो विपरीत चीजों का समावेश कभी-कभी कितना सुखद होता है, जैसे कोहरे की चादर से लिपटी हुई ठंड और साथ ही साथ गरमा गरम चाय. कुछ ऐसे ही हमारे उस दिन की शुरुआत हुई और फिर मित्रमंडली निकल पड़ी नंधौर वाइल्डलाइफ रिजर्व की सैर पर.
(Tanakpur Kitab Kauthig Day 2)
पिथौरागढ़ रोड पर ककराली गेट के पास ही संरक्षित वन क्षेत्र का प्रवेश द्वार बना है और उसी जगह पर राजेश भट्ट बाइनोक्युलर्स गले में डाले प्रतीक्षारत थे. उस सुबह वह हमारे गुरु व हम उनके शिष्य थे. ‘म्यर पहाड़ मेरि पंछ्याण’ में उनका साक्षात्कार बड़ा दिलचस्प था, जो मैने देखा था और भट्टजी से पिथौरागढ़ में एक छोटी मुलाकात कुछ महीने पहले ही हो चुकी थी. अपने विषय में पारंगत होने के साथ-साथ उनमें एक अनोखी प्रतिभा भी छिपी है कि वह भिन्न भिन्न पशु पक्षियों की आवाजें निकाल लेते हैं.
हम लगभग 30 लोग भट्टजी के साथ द्वार से भीतर बढ़े. सौरभ कलखुड़िया जो एक स्थानीय नेचर गाईड है वह भी रास्ते की जानकारियां देते हुए जा रहे थे. राजेश भट्ट ने एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य हमें बताया कि देश में मिलने वाली पक्षियों की कुल 1300 प्रजातियों में से लगभग 700 प्रजातियां सिर्फ हमारे उत्तराखंड में पाई जाती हैं. इसी तरह उन्होंने हमें तितली, बाघ, हिरण और हाथियों के बारे में कई रोचक तथ्य बताए. यह आश्चर्यजनक है कि कितनी अतुल्य संपदा के बीच हम रह रहे हैं.
मनुष्य का जीवन तब तक है जब तक हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाए हुए हैं. हम सबको पारस्परिक संबंध बना कर चलना होगा, तभी यह जीवन चल पाएगा. हर पेड़, पौधे, पत्ते, कीड़े-मकौड़ों की बहुत बारीक समझ राजेश भट्ट को है. बीच-बीच में भी हॉर्नबिल, पैराकीट, लंगूर, तेंदुआ आदि अलग-अलग जानवरों की आवाजें निकाल कर इस वॉक को और भी मजेदार बनाते जाते हैं.
कक्षा के भीतर बैठकर किताबों से पढ़ना एक समय बाद उबाऊ हो सकता है, लेकिन उसी विषय को जब हम प्रयोगात्मक तरीके से सीखते हैं और उस पर भी जब हम प्रकृति के बीच जाकर उन चीजों को देखते परखते हैं तो वह और भी रोचक हो जाता है और साथ ही साथ हम उस से जुड़ाव भी महसूस करने लगते हैं. हमने उस 3 घंटे के नेचर वॉक में जितना सीखा शायद 30 किताबें पढ़कर भी न सीख पाते. जीवन की खूबसूरत यादों में एक सुबह यह भी जुड़ गई.
(Tanakpur Kitab Kauthig Day 2)
दूसरे दिवस का किताब कौथिग शुरु हो चुका था. आज रविवार होने से अपेक्षाकृत भीड़ अधिक थी. यह देखना सुखद था कि कि लोगों का पुस्तकों के प्रति प्रेम अभी भी बरकरार है. जिन लोगों को क़िताबें सुहाती है, उन्हें पता है कि क्या सुगंध बिखेरती हैं किताबें. किताबें सहेजने से बड़ा धन कुछ नहीं और रात को किताब पढ़ते पढ़ते गहरी निद्रा में लीन होने से बड़ा सुख कही नहीं. बाहर से आए हुए सभी साहित्यकार लगभग पहुंच चुके थे.
बच्चे अपने प्रिय लेखकों को एक साथ देखकर फूले नहीं समाए. उन्होंने अपने पसंदीदा साहित्यकारों को घेर लिया. वह उनसे बातचीत कर रहे थे, बहुत कुछ जान व सीख रहे थे. आज की इस मुलाकात की याद के तौर पर वे उनके ऑटोग्राफ ले रहे थे. बच्चे बहुत खुश थे जैसे कि सपनों की दुनिया के कोई जादुई किरदार उनके सामने खड़े हो गए हों.
’यात्रा लेखन और पर्यटन’ पर साहित्यिक चर्चा का एक सत्र था जिसके संचालन की जिम्मेदारी मुझे मिली. इस सत्र के वार्ताकार थे- देवेंद्र मेवाड़ी, गीता गैरोला, उमेश पंत. उनके यात्रा अनुभव, रोचक किस्से बच्चों को बड़े मजेदार लगे और काफी कुछ उनसे सीखने को मिला. इस भीड़ में उन्हें सुनने वाले कई बच्चे शायद उनसे प्रेरणा लेकर आगे जाकर एक महान यायावर लेखक बने.
इस सत्र के साथ-साथ मंच पर राजेश भट्ट ने भी बच्चों को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि हमें किस तरीके से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाना चाहिए.हमें पारिस्थितिकीय प्रणाली में सर्वश्रेष्ठ इसलिए नहीं बनाया गया कि हम प्रकृति का सिर्फ दोहन ही करें बल्कि इसलिए कि हम प्रकृति को और संवार सके. नैनीताल एरीज संस्थान से आए मोहित जोशी ने भी बच्चों के सामने अपने विचार रखें व किस्से कहानियों से उन्हें तारों सितारों की चमकीली दुनिया की सैर कराई. मोहित “कौन बनेगा करोड़पति” के प्रतियोगी के रूप में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं.
(Tanakpur Kitab Kauthig Day 2)
मंच संचालन के वक्त हेमंत पांडे को भी मंच पर आमंत्रित करने का मौका मिला जिसमें उन्होंने बच्चों को E= MC 2 के सूत्र का जीवन दर्शन दिया अर्थात मनुष्य जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है, इसलिए बड़े सपने देखो और दूसरों के लिए हमेशा अच्छा सोचो. हर बच्चा अपने भाग्य का विधाता स्वयं है. अंत में बड़े रोचक अंदाज में उन्होंने कहा कि लोग बरसों बरस की गांठ को मन में पाले रखते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. जीवन बीती बातों को भूल कर आगे बढ़ते रहने का नाम है.
दोपहर हो चुकी थी. अचानक सूचना मिली कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंच रहे हैं और कुछ ही क्षण बाद उनका काफिला आयोजन स्थल तक पहुंच चुका था. माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी स्टालों का निरीक्षण किया. कुछ लोगों ने उन्हें उत्तराखंड की हस्तशिल्प भी भेंट की. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने इस आयोजन को ऐतिहासिक करार देते हुए राज्य भर में ऐसे आयोजन कराने की घोषणा की और साथ ही टनकपुर में सार्वजनिक पुस्तकालय खोलने की भी. मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं से उपस्थित जनता के बीच उल्लास की लहर दौड़ गई.
टनकपुर किताब कौथिग ने अवसर दिया कई नए लोगों से मिलने का, विचार सृजन का और सीखने समझने का. इन्हीं उम्मीदों को मन में रखकर हमने पिथौरागढ़ के लिए वापसी का सफर शुरू किया.
(Tanakpur Kitab Kauthig Day 2)
–पिथौरागढ़ से दीप्ति भट्ट
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