टकाना रामलीला का प्रारम्भ से अब तक का सफर व मंचन बहुत ही सुन्दर, सराहनीय और लोकप्रिय रहा है. हमेशा अपने-अपने किरदार में सभी पात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर जनता को आनंदित किया है. टकाना रामलीला से जुड़े कुछ ऐसे कलाकार जिन्होंने न केवल यहां अभिनय किया बल्कि अभिभावक की तरह इस परम्परा को आगे भी बढ़ाया:
(Takana Ramleela Pithoragarh)
अर्जुन महर, सोर घाटी में 80 के दशक में होने वाली रामलीला से जुड़ा एक ऐसा नाम है जिसके किरदार आज भी पुराने लोगों के मन मस्तिष्क में सजीव हैं. कुमौड़ के अर्जुन महर के विषय में कहा जाता है कि 80 के दशक में वह एक ही दिन में सोर घाटी में होने वाली दोनों रामलीलाओं में अभिनय करते थे. यजडी बाइक में अपने कॉस्टयूम में एक रामलीला से दूसरी रामलीला में जाते अर्जुन महर के किस्से आज भी सोर घाटी में बड़े चाव से सुनाये जाते हैं.
एक कुछ साल सेना में सेवा देने के बाद अर्जुन महर ने खाद्य विभाग में पूर्ति निरीक्षक के पद पर नौकरी शुरु की. अर्जुन महर जहां भी नौकरी करने गए उन्होंने हर जगह रामलीला शुरू करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनसे जुड़ा एक वाकिया यह भी है कि लोहाघाट के मच तामली में जब गाड़ी भी नहीं थी और लोग घोड़ों से सामग्री लाते थे, ऐसे समय में उनकी नियुक्ति वहां हुई. 80 के दशक में ऐसे दुर्गम क्षेत्र में भी उन्होंने रामलीला की शुरुआत की.
(Takana Ramleela Pithoragarh)
भुवन चन्द्र उप्रेती इस रामलीला से जुड़ा एक महत्वपूर्ण नाम है. पिछले 25 वर्षों से दशरथ की शानदार जीवन्त भूमिका निभा रहे भुवन चन्द्र उप्रेती 1981 से इस रामलीला मंच से जुड़े हैं. पेशे से राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं भुवन चन्द्र उप्रेती ने बताया कि वर्ष 1981 में सर्वप्रथम जब वह इस मंच से जुड़े तो उस समय सबसे पहले माता सीता की भूमिका 4 वर्ष तक निभाई. उनके बड़े भाई साहब महेश चन्द्र उप्रेती तब राम बनते थे. लखनलाल की भूमिका में स्व. संजय चन्द थे. उसके बाद चार साल रामजी की भूमिका व बाद में सुलोचना, जनक, सुमन्त, सुसेनवैद्य, कैकई की भूमिका निभाई.
भुवन चन्द्र उप्रेती ने बताया कि वर्ष 1981 में जब मैंने इस मंच में प्रवेश किया तो उस समय कमेटी के संसाधन आज की अपेक्षा बहुत कम व सीमित थे. मात्र एक कक्ष था वही भंडारगृह भी था और वही मेकअप कक्ष भी. तालीम राजकीय प्राथमिक विद्यालय टकाना में पेट्रोमैक्स जलाकर की जाती थी. साउण्ड सिस्टम के नाम पर लटकने वाले दो माइक हुआ करते थे. उस समय हारमोनियम वादक जीवन पन्त, तबला वादक विशन राम और निर्देशक अर्जुन महर हुआ करते थे. उस समय के अध्यक्ष के. सी. जोशी और उदघोषक महेन्द्र पन्त हुआ करते थे. बाद में अध्यक्ष नेगीजी भी रहे.
उस समय के पात्रों में लोकप्रिय कलाकारों में रावण स्व. अर्जुन महर, अंगद प्रताप सिंह और जोकरों में प्रतापदा और हरदा की जोड़ी हुआ करती थी. रावण की भूमिका चाहे पहले की हो या वर्तमान की हमेशा सर्वश्रेष्ठ रही है. स्व.अर्जुन दा अपने समय पर इस रावण भूमिका के लिए इतनी लोकप्रिय रहे कि एक ही समय पर वह टकाना व सदर बजार की रामलीला में प्रतिभाग करते थे और हम सभी कलाकारों को प्रोत्साहित कर सरल व सहजभाव से गाइड करते थे.
पिथौरागढ़ टकाना रामलीला का निर्देशन एवं रावण का अभिनय कर रहे योगेश भट्ट का मानना है कि भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाने जाते हैं और आज के समय यह नितांत आवश्यक है कि श्रीराम के द्वारा स्वयं किए गए समर्पण को हम आम जनमानस के मन मस्तिष्क में उतारे ताकि समाज में रामराज की परिकल्पना स्थापित हो.
बचपन के उन दिनों की याद जब हम दोस्तों के साथ कंचे खेलने, पतंगबाजी करने इस मैदान में जाया करते और रामलीला के दिनों घर से बोरे ले जाकर रामलीला देखने के लिए अपनी जगह संरक्षित कर लिया करते थे अभिनय का शौक तो बहुत था परंतु मंच में जाने से बहुत डर लगता था कभी कल्पना भी नहीं की थी देश की इस ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में मैं एक दिन अपनी भूमिका का सशक्त निर्वहन करुंगा. हमारे पड़ोस में रामलीला की तत्कालीन निर्देशक स्व. दिनेश पंत, हारमोनियम वादक जीवन पंत रहा करते थे. उनके द्वारा 1996 में बाल अंगद की प्रथम भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया तभी से मैं टकाना रामलीला मंच से जुड़ा हूं.
मैंने रावण सेनानी, केवट, सीता स्वयंवर के दिन राजा, सुबाहु, विभीषण, हनुमान आदि कई पात्रों की भूमिका का निर्वहन भी किया है. रंगमंच की ओर कॉलेज टाइम से ही रुझान रहा. जनपद की अग्रणी नाट्य संस्था अनाम के साथ डॉ एहसान बख़्स के निर्देशन में रंग कार्यशालाओं में प्रतिभाग तथा नाटक करने का अवसर प्राप्त हुआ. कई नाटक भोलाराम का जीव, कहानी एक टुकड़ों में, कोर्ट मार्शल, ईदगाह, गधे की बारात, प्लेटफार्म, ताजमहल का टेंडर, चंद्र सिंह गढ़वाली आदि कई नाटकों में सहपाठियों के साथ मिलकर प्रदेश स्तर तक प्रतिभाग भी किया.
(Takana Ramleela Pithoragarh)
बाल रंग कार्यशाला में अनाम संस्था के साथ जुड़कर मंच की बारीकियां निश्चित रूप से समझने में आसानी हुई. वर्ष 2007 में रामलीला के तत्कालीन पात्र चंद्र सिंह महर ने रावण का अभिनय करने का अवसर प्रदान किया तब से लेकर आज वर्ष 2021 तक 19 वर्ष हो गए रावण का अभिनय करते हुए. वर्ष 2010 से टकाना रामलीला का मंचीय निर्देशक भी हूं, मेकअप भी कर लेता हूं कुल मिलाकर इस टकाना रामलीला के साथ मेरा आत्मीयता का समर्पण है.
इस दौरान मैं अपनी संस्था लोक संचार एवं विकास समिति, पिथौरागढ़ के सभी महत्वपूर्ण कार्यालयी दौरों को भी त्याग देता हूं. दर्शकों से मिलने वाला प्रोत्साहन निश्चित रूप से मेरे मनोबल को संबल प्रदान करता है कि मैं अपने अभिनय से सभी का दिल जीतने में कामयाब हो जाऊं.
वर्ष 2012 में लोहाघाट रामलीला में हुए प्रतिस्पर्धा में टकाना का अंगद रावण संवाद सर्वश्रेष्ठ चुना गया यही सभी कुछ क्षण जो आज भी मेरे लिए प्रेरणादायी हैं. निश्चित रूप से मेरे घर वाले भी मेरे रावण बनने पर विरोध करते हैं परंतु यह विरोध के स्वर उस समय अत्यंत गौण लगते हैं जब सामाजिक सराहना प्राप्त होती है.
(Takana Ramleela Pithoragarh)
रामलीला मंचन को वास्तविक रूप से सफल बनाने में जुटी टीम मैं परम आदरणीय हीरा बल्लभ पांडे, केदार भट्ट, भुवन पांडे, दिनेश उपाध्याय, चंद्रशेखर महर, मोहनलाल वर्मा, यशवंत सिंह महर, मनीष पंत, महेश चंद्र पंत, श्रीकृष्ण अवस्थी, गिरजा जोशी, पंकज पांडेय, हेम जोशी, हरिकृष्णा, प्रकाश भट्ट, भुवन उप्रेती, मनोज रावत, राजूपाल, विजय भट्ट, आनंद फर्त्याल, किरन बिष्ट सहित सभी रामलीला कलाकारों तथा कार्यकर्ताओं की बहुत अच्छी टीम है, जो टकाना रामलीला के उत्थान हेतु चिंतनशील है. वह समाज को एक स्वस्थ मनोरंजन देने के लिए संकल्पबद्ध हैं ताकि भगवान राम के आदर्श जन जन तक पहुंच सके.
(Takana Ramleela Pithoragarh)
–पंकज कुमार पांडेय
मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले पंकज कुमार पांडेय युवा पत्रकार हैं. वर्तमान में पंकज दैनिक भास्कर से जुड़े हैं.
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