पन्द्रह अगस्त - वीरेन डंगवाल सुबह नींद खुलती तो कलेजा मुंह के भीतर फड़क रहा होता ख़ुशी के मारे स्कूल भागता झंडा खुलता ठीक…
पहली बार उनका नाम प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन से सुना था कि बाबा साहेब आंबेडकर की पत्रकारिता पर उनके रिसर्च…
हर कवि की एक मूल संवेदना होती है जिसके इर्द-गिर्द उसके तमाम अनुभव सक्रिय रहते हैं. इस तरह देखें तो…
कहने को तो वीरेन डंगवाल हिंदी के एम.ए.पीएच.डी और लोकप्रिय, बढ़िया प्राध्यापक थे, एक बड़े दैनिक के सम्पादक भी रहे,…