Shivprasad Joshi

एक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद मेंएक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद में

एक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद में

मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूं देखता हूं वह भी मेरा पीछा कर रहा है मुझसे तेज़ भाग…

4 years ago
गढ़वाल से ग्लोब तक मेरे कैसे-कैसे कमरेगढ़वाल से ग्लोब तक मेरे कैसे-कैसे कमरे

गढ़वाल से ग्लोब तक मेरे कैसे-कैसे कमरे

तुम्हें अपने कमरे से जाने की ज़रूरत नहीं है. अपनी मेज के पास बैठे रहो और सुनो. बल्कि सुनो भी…

5 years ago
अच्छे लेखक को कुछ भी बरबाद नहीं कर सकता हैअच्छे लेखक को कुछ भी बरबाद नहीं कर सकता है

अच्छे लेखक को कुछ भी बरबाद नहीं कर सकता है

विलियम फॉक्नर का साक्षात्कार अनुवाद : शिवप्रसाद जोशी   पेरिस रिव्यू ने विश्व साहित्यकारों के सबसे दुर्लभ साक्षात्कार किये हैं, जिनकी…

6 years ago
पेले और माराडोना की महान परम्परा का खिलाड़ी था रोनाल्डोपेले और माराडोना की महान परम्परा का खिलाड़ी था रोनाल्डो

पेले और माराडोना की महान परम्परा का खिलाड़ी था रोनाल्डो

धूप और परछाई के फ़ुटबॉल में -शिवप्रसाद जोशी नौ साल पहले की सुखद स्मृतियों और उसके बाद विवादों आरोपों कलहों…

6 years ago
फ़ितूर सरीखा एक पक्का यक़ीनफ़ितूर सरीखा एक पक्का यक़ीन

फ़ितूर सरीखा एक पक्का यक़ीन

आज वीरेन डंगवाल की चौथी पुण्यतिथि है. हिन्दी कविता और पत्रकारिता में अपनी ख़ास जगह रखने वाले इस महान व्यक्ति…

6 years ago
काले गड्ढे के उस पार हॉकिंग रेडिएशनकाले गड्ढे के उस पार हॉकिंग रेडिएशन

काले गड्ढे के उस पार हॉकिंग रेडिएशन

प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग का निधन उस दिन के शुरुआती लम्हों में हुआ जो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्श्टाइन की…

6 years ago
पहाड़ के एक प्रखर वक्ता का जानापहाड़ के एक प्रखर वक्ता का जाना

पहाड़ के एक प्रखर वक्ता का जाना

वह ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल और ज़मीन…

6 years ago
काल से होड़ लेता था कवि विष्णु खरेकाल से होड़ लेता था कवि विष्णु खरे

काल से होड़ लेता था कवि विष्णु खरे

पहल के ताज़ा अंक में अपनी डायरी की शुरुआत में विष्णु खरे की कविता, ‘एक कम’ की आख़िरी चार लाइनों…

6 years ago
पहाड़ से ये कमाई बंद करोपहाड़ से ये कमाई बंद करो

पहाड़ से ये कमाई बंद करो

हमारी जरूरत को तुम लूट का बिंदु बनाते हो -शिवप्रसाद जोशी कुदरत इसी तरह से प्रहार करती आई है. 16-17…

7 years ago