Ghughuti

घुघुती की हमारे लोकजीवन में गहरी छाप है

घुघूती का महत्व देश के अन्य भागों में कितना है कह नहीं सकता किन्तु गढ़वाल-कुमाऊँ में घुघुती की छाप सबके…

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काले कव्वा : एक दिन की बादशाहत

मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले ‘घुघते’ आदि पकवान बनाकर दूसरी सुबह बच्चों के द्वारा कव्वों को खिलाये जाते…

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घुघुती, प्योली व काफल पर्वतीय लोकजीवन के कितने करीब

ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य…

5 years ago