Book review

सरलता जो सहजता में तरमीम होती हैसरलता जो सहजता में तरमीम होती है

सरलता जो सहजता में तरमीम होती है

संतोष कुमार तिवारी के काव्य संकलन ‘अपने-अपने दंडकारण्य’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी (Review of Santosh Kumar Tiwari Book Amit Srivastava)…

5 years ago
‘गहन है यह अन्धकारा’ में दूर कहीं उजास दिखता है‘गहन है यह अन्धकारा’ में दूर कहीं उजास दिखता है

‘गहन है यह अन्धकारा’ में दूर कहीं उजास दिखता है

पुलिस के पास ढेरों कहानियां होती हैं. हर तबके की, हर तरह की. कहानी बनाना भी आ जाता है और…

5 years ago
महेश पुनेठा की किताब का रिव्यू – एक किताब जिसमें सब हाजिर नाज़िर होंमहेश पुनेठा की किताब का रिव्यू – एक किताब जिसमें सब हाजिर नाज़िर हों

महेश पुनेठा की किताब का रिव्यू – एक किताब जिसमें सब हाजिर नाज़िर हों

कवि, लेखक महेशचंद्र पुनेठा की यह किताब शिक्षा के अनेक अनसुलझे -अधूरे सवालों का मात्र दुहराव भर नहीं, जैसा आपने…

5 years ago
बनारस के निष्कलुष हास्य और शार्प विट से बुना गया है आशुतोष मिश्रा का पहला उपन्यासबनारस के निष्कलुष हास्य और शार्प विट से बुना गया है आशुतोष मिश्रा का पहला उपन्यास

बनारस के निष्कलुष हास्य और शार्प विट से बुना गया है आशुतोष मिश्रा का पहला उपन्यास

'राजनैत' लेखक आशुतोष मिश्र का पहला उपन्यास है. अपनी पहली ही रचना में उन्होंने प्रवाहमय विट-संपन्न गद्य लिखा है. उनमें…

5 years ago
ललित मोहन रयाल की नई किताबललित मोहन रयाल की नई किताब

ललित मोहन रयाल की नई किताब

कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के…

6 years ago
चिपको आन्दोलन के प्रभावों को साफगोई से सामने रखता दावानलचिपको आन्दोलन के प्रभावों को साफगोई से सामने रखता दावानल

चिपको आन्दोलन के प्रभावों को साफगोई से सामने रखता दावानल

सन 2008 में प्रकाशित चर्चित उपन्यास 'दावानल' मैं कई बार पढ़ चुका हूँ. इसे पढ़ने में हर बार एक नया…

7 years ago