लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

जिन्दगी में तीन सम्बन्ध कभी नहीं मिटतेजिन्दगी में तीन सम्बन्ध कभी नहीं मिटते

जिन्दगी में तीन सम्बन्ध कभी नहीं मिटते

17 जुलाई, 1969 को ठीक पचास साल पहले, आज ही के दिन. Tara Chandra Tripathi Memoir by Batrohi डिग्री कॉलेज…

5 years ago
देशभर में बच्चों के प्यारे देवेन दा आज से जीवन के 77वें साल में प्रवेश कर रहे हैंदेशभर में बच्चों के प्यारे देवेन दा आज से जीवन के 77वें साल में प्रवेश कर रहे हैं

देशभर में बच्चों के प्यारे देवेन दा आज से जीवन के 77वें साल में प्रवेश कर रहे हैं

देवेन मेवाड़ी की किताबों में उनकी सर्टिफिकेट जन्मतिथि 7 मार्च 1944 दर्ज है अलबत्ता उनकी माताजी के हिसाब से देवी…

5 years ago
शैलेश मटियानी से पहली मुलाकातशैलेश मटियानी से पहली मुलाकात

शैलेश मटियानी से पहली मुलाकात

यह किताब मैंने 2001 में मटियानीजी की मृत्यु के फ़ौरन बाद लिखनी शुरू की थी और इसके न जाने कितने…

5 years ago
तनावहीन चेहरे वाला एक लेखक : पंकज बिष्टतनावहीन चेहरे वाला एक लेखक : पंकज बिष्ट

तनावहीन चेहरे वाला एक लेखक : पंकज बिष्ट

पहली मुलाक़ात में ही मैंने महसूस किया था कि हम दोनों के बीच कई चीजें समान होते हुए भी वह…

5 years ago
‘गहन है यह अंधकारा’ की समीक्षा : लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’‘गहन है यह अंधकारा’ की समीक्षा : लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

‘गहन है यह अंधकारा’ की समीक्षा : लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

औपनिवेशिक मूल्यों की तलछट पर बिछा एक लाचार समाज भारत को आज़ादी तो 1947 में मिल चुकी थी; मगर आज…

5 years ago
घाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जाघाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जा

घाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जा

अब ऐसे नज़ारे कम दिखाई देते हैं, मगर हमारे छुटपन में जब पहाड़ों का आकाश हर वक़्त बादलों से घिरा…

5 years ago
आमिर खान, उसके बेटे और भेड़ की मोटी दुम के लहसुन वाले खीनकालों का किस्साआमिर खान, उसके बेटे और भेड़ की मोटी दुम के लहसुन वाले खीनकालों का किस्सा

आमिर खान, उसके बेटे और भेड़ की मोटी दुम के लहसुन वाले खीनकालों का किस्सा

हिंदी लेखन की हालत आजकल एक ऐसी संतान की तरह हो गयी है, जिसके बाप के रूप में एक ओर…

5 years ago
क्या आपने पहाड़ी बकरी को चरते देखा है?क्या आपने पहाड़ी बकरी को चरते देखा है?

क्या आपने पहाड़ी बकरी को चरते देखा है?

कहते हैं, संसार का सबसे निरापद और स्वादिष्ट जीव बकरी है. उस पर अगर वो पहाड़ी हो तो क्या कहने.…

6 years ago
क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?

क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?

लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’…

6 years ago
कठपतिया का श्रापकठपतिया का श्राप

कठपतिया का श्राप

कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी –…

6 years ago