मेरा बचपन

बद्रीदत्त कसनियाल- जिनके सान्निध्य में कब पत्रकार बना, पता ही न चला

पहाड़ और मेरा जीवन -44 पिछली क़िस्त : पहाड़ों में पैदल चलने के बिना जिंदगी का जायका ही क्या जो…

5 years ago

पहाड़ों में पैदल चलने के बिना जिंदगी का जायका ही क्या

पहाड़ और मेरा जीवन -43 पिछली क़िस्त : हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की…

5 years ago

हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की रोटी मक्खन, नून के साथ खाना

पहाड़ और मेरा जीवन – 42 पिछली कड़ी:  एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई हम सबकी…

5 years ago

एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई

पहाड़ और मेरा जीवन – 41 पिछली कड़ी: आपकी एक छोटी-सी पहल कैसे आपका मुकद्दर संवार सकती है आज कुछ…

5 years ago

भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया

पहाड़ और मेरा जीवन – 39 (पिछली कड़ी: जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित…

5 years ago

बचपन में फलदार पेड़ों का आनंद:

मेरा बचपन-1 (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश) -देवी दत्त पंत सुबह उठते ही कोलाहल, चिन्ता, अव्यवस्था, 70 वर्श…

5 years ago

मृत्यु से दूसरा साक्षात्कार हुआ जब यशुदास मेरी आंखों के सामने डूबा

पहाड़ और मेरा जीवन - 21 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

5 years ago

वह किलमोड़े और हिसालू डोलू में भरकर ला घरवालों की पार्टी करना

पहाड़ और मेरा जीवन - 20 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

5 years ago