मेरी कहानी ‘दाड़िम के फूल’ की भी एक मजेदार कहानी है. आनंद तब आए जब इससे पहले मेरे दोस्त बटरोही की कहानी ‘बुरांश…
पिछली पोस्ट में मैंने भारत के कालजयी लेखक प्रेमचंद के परिवार के साथ रहने के कारण खुद को सौभाग्यशाली व्यक्तियों…
इस पोस्ट को पिछली पोस्ट के क्रम में पढ़िए. पिछली पोस्ट का लिंक: पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक…
अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ…
चरवाहे लोकदेवता कलबिष्ट की शरण में (एक लोक देवता के अंकुरण की पृष्ठभूमि)-बटरोही इतने सालों के बाद क्या उसका यह…
गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से --बटरोही मेरा जन्म अल्मोड़ा जिले की मल्ला सालम पट्टी के छानागाँव में हुआ था.…
काली कुमाऊँ योद्धाओं का क्षेत्र है, अतः यहाँ की सभी परंपराएँ शक्ति (ताकत) से जुड़ी हुई हैं. दानवों की भूमि…
जब मैं पहली बार शहर के स्कूल पहुँचा सन 1955 तक मैंने गाँव के स्कूल में पढ़ा जो चारों ओर…
मेरे पास अनेक संदेश आ रहे हैं कि क्या महादेवी वर्मा सृजन पीठ बंद हो गयी है? उसे किसने बंद…
फ्रैंकफर्ट में जहाज बदला और हंगरी के स्थानीय समय के अनुसार पूर्वाह्न साढ़े दस बजे, जिस वक़्त भारत में दोपहर…