बटरोही

रूस के एक यात्री ने लिखी थी कुमाऊनी लोककथाओं की पहली किताबरूस के एक यात्री ने लिखी थी कुमाऊनी लोककथाओं की पहली किताब

रूस के एक यात्री ने लिखी थी कुमाऊनी लोककथाओं की पहली किताब

यह बात सभी जानते हैं कि हिंदी साहित्य का पहला संकलन फ्रेंच भाषा में गर्सा द तासी के द्वारा 1850…

5 years ago
घाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जाघाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जा

घाम दीदी इथकै आ, बादल भिना उथकै जा

अब ऐसे नज़ारे कम दिखाई देते हैं, मगर हमारे छुटपन में जब पहाड़ों का आकाश हर वक़्त बादलों से घिरा…

5 years ago
मां की सिखाई ज़बान भूल जाने वाला बेटा मर जाता हैमां की सिखाई ज़बान भूल जाने वाला बेटा मर जाता है

मां की सिखाई ज़बान भूल जाने वाला बेटा मर जाता है

खुद को अभिव्यक्त करने का सलीका मैंने अपने दौर के वरिष्ठ और चर्चित लेखक शैलेश मटियानी से सीखा. और यह…

5 years ago
मुफ्त में लिखा गया उत्तराखण्ड का राज्यगीतमुफ्त में लिखा गया उत्तराखण्ड का राज्यगीत

मुफ्त में लिखा गया उत्तराखण्ड का राज्यगीत

“कहाँ हो बंकिम, कहाँ हो रवीन्द्र! आओ, उत्तराखंड का राज्यगीत लिखो ये वाक्य उत्तराखंड के एक प्रगतिशील समझे जाने वाले…

5 years ago
ठाकुर दान सिंह मालदार और पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने जगाई कुमाऊं में आधुनिक शिक्षा की अलखठाकुर दान सिंह मालदार और पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने जगाई कुमाऊं में आधुनिक शिक्षा की अलख

ठाकुर दान सिंह मालदार और पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने जगाई कुमाऊं में आधुनिक शिक्षा की अलख

आज जिस स्थान पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर 'डी. एस. बी.' स्थित है, आजादी से पहले वहाँ पर 'वैलेजली…

5 years ago
क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?

क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?

लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’…

6 years ago
कलकत्ता कथा समारोह 1982 : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती थीकलकत्ता कथा समारोह 1982 : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती थी

कलकत्ता कथा समारोह 1982 : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती थी

भारतीय भाषाओं के शीर्षस्थ कथाकारों का समागम : ‘कलकत्ता कथा समारोह, 1982’ : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती…

6 years ago
कठपतिया का श्रापकठपतिया का श्राप

कठपतिया का श्राप

कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी –…

6 years ago
भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धाभारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा

भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा

काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली…

6 years ago
डीएसबी नैनीताल यानी उत्तराखंड में आधुनिकता का प्रवेश द्वारडीएसबी नैनीताल यानी उत्तराखंड में आधुनिकता का प्रवेश द्वार

डीएसबी नैनीताल यानी उत्तराखंड में आधुनिकता का प्रवेश द्वार

आधुनिकता को अंग्रेजों के आगमन और उनकी भाषा के साथ आये ज्ञान-विज्ञान के साथ जोड़कर देखा जाता है. कुछ हद…

6 years ago