प्रिय अभिषेक

अरुण यह मधुमय देश हमारा

शाम को टहलते हुए सोच रहा था कवि ने ऐसा क्यों कहा -  अरुण यह मधुमय देश हमारा? वह कह…

5 years ago

गांव की चौपाल पर टीवी

गाँव की चौपाल पर एक छोटा सा टीवी लगा था. टीवी और जगह भी लगे थे ,पर वे एंटीने वाले…

5 years ago

ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये इदं न मम

उनके जैसा ज्वलनशील व्यक्ति मिलना मुश्किल था. लोग कहते हैं कि उनके माथे पर लिख दिया जाना चाहिये था- अत्यंत…

5 years ago

संगठित लेखक प्रकाशकों पर भारी पड़ते हैं

हालत पाठकों की भी कुछ कम ख़राब नहीं थी. शर्मा जी के बारे में पता चला कि पुस्तक मेले से…

5 years ago

जो जवानी में बूढ़े हो जाते हैं, वे बुढ़ापे में जवान होते है

मदन जी पूरी रात नहीं सोए. और करवट भी नहीं बदल पाए. एक तरफ़ कनक भूधराकार सरीरा उनकी पत्नी सो…

5 years ago

पुस्तक मेले से लौटे कविराज नूर बहोड़ापुरी भारी अवसाद में हैं

कविराज नूर बहोड़ापुरी के बारे में ख़बर मिली कि पुस्तक मेले से लौट कर वे भारी अवसाद (डिप्रेशन) में चले…

5 years ago

पतंग लूटना कला भी है और विज्ञान भी

ये पूरा कार्य किसी फ़ौज के अभियान से कम नहीं होता. वही पदसोपान, वही अनुशासन,वही रणनीति, वही जोश और वही…

5 years ago

जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा!

जमूड़े! हाँ उस्ताद! लोगों को हँसाएगा? हँसाएगा! तालियां बजवाएगा? बजवाएगा! जमूड़े! जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा!…

5 years ago

हम सब कठपुतलियां हैं

एक बड़े शहर के एक बड़े कला केंद्र में कठपुतली समारोह का आयोजन किया गया. अनेक अभिवावक अपने छोटे-छोटे बच्चों…

5 years ago

ठेसबुक में लाठी, कट्टे, तमंचे के प्रवेश की व्यवस्था हेतु मारक जोकर बर्ग के नाम प्रार्थना पत्र

सेवा में,          श्रीमान मारक जोकर बर्ग जी          मुख्य अभियंता          ठेसबुक विषय - ठेसबुक में सुधार कर उसमें…

5 years ago