कुमाऊं

आखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगे

पिताजी सन् 1949 में लखनऊ आ गए थे. उन्होंने ने ही बताया था कि घर से ( गराऊँ, बेरीनाग )…

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कुमाऊं में अन्नप्राशन संस्कार

अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के दांत निकलने से पहले किया जाता है. कुमाऊं में इसे अनपासनि, पासणि भी कहा जाता है.…

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पुण्यतिथि विशेष: पप्पू कार्की हमेशा याद आएंगे

प्रवेन्द्र सिंह कार्की उर्फ़ पप्पू कार्की (30 जून 1984-9 जून 2018) आज ही के दिन एक साल पहले सड़क दुर्घटना…

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अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे

बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ…

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भीमताल और टूट चुके पत्थर का दर्द

शायद 69-70 के दशक की बात होगी, मैं तब भीमताल के एल. पी. इंटर कॉलेज में आठवीं या नवीं का…

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उत्तराखण्ड के दुर्गम गाँव नामिक की एक चुनौतीपूर्ण यात्रा

शहरी कोलाहल से विक्षिप्त होकर जब भागना होता है तो उत्तराखंड ही याद आता है. ये खुद को बचाए रखने…

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दूनागिरी: जहाँ कभी द्रोण ऋषि का आश्रम हुआ करता था

दूनागिरी अल्मोड़ा जिले की एक पहाड़ी है. अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 60 किमी है. यह रानीखेत कर्णप्रयाग…

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भेलिधरण या भेली धरना: कुमाऊँ का एक वैवाहिक अनुष्ठान

भेली धरना या भेलिधरण कुमाऊँ के वैवाहिक अनुष्ठानों में सगाई की एक रस्म की तरह ही है. इसका शाब्दिक अर्थ…

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कुमाऊँ की कोसी नदी की कहानी

कुमाऊँ की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक हैं कोसी (Story of Kosi River of Kumaon). पुराने विशेषज्ञों की मानें…

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उत्तराखण्ड में धधकते जंगल और सुलगते सवाल

उत्तराखण्ड नियति के भरोसे चलने वाला राज्य बनकर रह गया है. अन्य हिमालयी राज्यों की तरह इस राज्य के सामने…

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