बटरोही

बोनस में प्राप्त ज़िन्दगी की नई सुबह

2022 का नया सवेरा इतिहास की एक नयी तहरीर लेकर मेरे सामने आकर खड़ा हो गया. यह नया सवेरा मेरे…

2 years ago

उत्तराखंड की पहली प्रकाशक बिटिया

अप्रत्याशित खबर की तरह हिंदी समाज की जुबान पर ‘दून लिटरेचर फेस्टिबल 2016’ छा गया. मुख्य परिकल्पना उत्तराखंड की दो…

2 years ago

भीमताल की जर्मन बहू ने दुनिया को नयी ज़िंदगी दी

भीमताल की जून एस्टेट एक मिथक की तरह नैनीताल-वासियों के मन में हमेशा रही है. जब हम लोग नैनीताल के…

2 years ago

‘रिक्त स्थान और अन्य कविताएँ’ की समीक्षा: लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

कवि के साथ बातचीत का सलीका शिवप्रसाद जोशी के संग्रह ‘रिक्त स्थान और अन्य कविताएँ’ पढ़ने के बाद इस लेख…

3 years ago

आध मुन्स्यार+आध चिकसैरेदा = पुर संसार

आज समझ में आ रहा है कि आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने इतिहास को विधाता क्यों कहा होगा? हमारा यह विधाता…

3 years ago

अंततः हल्द्वानी का हिमालय

एक: मेरे गाँव से हिमालय हिमालय के बारे में मैंने बड़े नाटकीय अंदाज़ में जाना. हिमालय के बीच ही पैदा…

3 years ago

भैंस-पालकों की घाटी से घोड़ों के दौड़ते झुण्ड वाले देश तक की यात्रा

मेरा पैतृक गाँव ब्रिटिश अल्मोड़ा के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक छोटा-सा गाँव है, ‘छानगों’; मगर शुरू से ही इसे ‘छानागाँव’…

3 years ago

नैनीताल की झील में एक खतरनाक जीवाणु का घर है

यह शोध हमारे विश्वविद्यालय में वनस्पति-विज्ञान के प्रोफ़ेसर साहब ने किया था. हिंदी समाज के आम प्राध्यापक की तरह वो…

3 years ago

उत्तराखंड में ओबीसी बिल के निहितार्थ: एक तत्काल प्रतिक्रिया

गलत वर्तनी वाले पंडित, घूंघट वाले ठाकुर, छोटा ‘सा’ वाले बनिये और प्रदेश की ईंट-से-ईंट जोड़ते रहे एससी-एसटी शिल्पकार क्या…

3 years ago

आजादी के बाद पहाड़ों में खलनायक ही क्यों जन्म ले रहे हैं

हमारी धरती में नायकों की कभी कमी नहीं रही. चाहे जितने गिना लीजिए. आजादी से पहले भी, और बाद में…

4 years ago