उत्तराखंड के चमोली जिले में तैनात जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया पिछले साल राष्ट्रीय समाचारों की सुर्ख़ियों में आई थीं जब उन्होंने अपने दो साल के बेरे को गोपेश्वर के एक आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिल करवाया था. (Swati Bhadoriya DM Chamoli has Education on her Agenda)
अपने इस निर्णय के बारे में बात करते हुए उन्होंने तब ‘इंडिया टुडे’ को बताया था – “आंगनबाड़ी केन्द्रों में सारी सुविधाएं और एक सम्पूर्ण माहौल होता है जो बच्चों के विकास में मददगार होता है. इन केन्द्रों पर पढ़ाई, आनंद और भोजन तीनों साथ-साथ चलते हैं. मेरे बेटे को बाकी बच्चों के साथ रहने में अच्छा लग रहा है.”? (Swati Bhadoriya DM Chamoli has Education on her Agenda)
पिछले लम्बे समय से जिस तरह समाज में सरकारी शिक्षा को हेय दृष्टि से देखने की परम्परा चल निकली है, उसके परिप्रेक्ष्य में यह एक शानदार पहल थी. देश भर में सन्देश गया कि उत्तराखंड राज्य में ऐसे भी अफसर हैं जो न सिर्फ जनता से सीधे संवाद करने की इच्छा रखते हैं, उनके एजेंडे में शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं काफी ऊपर हैं.
कल स्वाति एस भदौरिया अचानक अपने जिले चमोली के राजकीय प्राथमिक विद्यालय और मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र देवर खडोरा के इंस्पेक्शन के लिए पहुँचीं और उन्होंने आंगनबाड़ी में बच्चों को खिलाये जा रहे मिड-डे मील की गुणवत्ता जानने की नीयत से बच्चों के साथ जमीन पर बैठ कर उन्हें परोसा जाने वाला भोजन खाया और उसमें सुधार के लिए सभी सम्बन्धित आदेश भी दिए.
कहना न होगा लूट और भ्रष्टाचार से त्रस्त उत्तराखंड राज्य को ऐसे ही अफसरों की दरकार है.
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