सुधीर कुमार

पिथौरागढ़ के लंदन फोर्ट में नाटक स्वपनवासवदत्ता का मंचन

भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा पिथौरागढ़ के लंदन फोर्ट में संस्कृत नाटक ‘स्वपनवासवदत्ता’ के हिंदी रूपांतरण का मंचन किया गया. महाकवि भास द्वारा रचित स्वपनवासवदत्ता नाटक का हिन्दी अनुवाद भारत रत्न भार्गव द्वारा किया गया है. (Swapnavasavadatta Staged at London Fort Pithoragarh)

देर शाम हुए नाटक को देखने के लिए कड़ाके की ठण्ड के बावजूद दर्शक डटे रहे. गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में रंगमंच की संस्कृति न के बराबर होने के बावजूद कैलाश कुमार भाव राग ताल अकादमी के बैनर तले लगभग एक दशक से पिथौरागढ़ में थियेटर गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं. अकादमी द्वारा हर साल नाटकों का मंचन किया जाता है. देश के जाने-माने नाट्य दल अकादमी के लिए पिथौरागढ़ आकर नाटक करते हैं. अकादमी से प्रशिक्षित कई छात्र देश के विभिन्न प्रतिष्ठित नाट्य विद्यालयों में दाखिला पा चुके हैं.

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

फोटो : सुधीर कुमार

नाटकों के अलावा अकादमी द्वारा स्थानीय लोक कलाओं व संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन तथा दस्तावेजीकरण का काम भी बखूबी किया जा रहा है. साल 2020 में अकादमी द्वारा उत्तराखण्ड के पारंपरिक लोकवाद्य कारीगरों पर बनी फिल्म को काफी सराहना भी मिली. भाव राग ताल नाट्य अकादमी, पिथौरागढ़ द्वारा अपने यू ट्यूब चैनल से उत्तराखण्ड के लोक वाद्य कारीगरों के जीवन पर बनायी गयी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘लोक थात के प्रहरी’ को रिलीज किया गया.

इसे भी पढ़ें : उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक पर्व को पुनर्जीवित करने हेतु भाव राग ताल की कार्यशाला

स्वपनवासवदत्ता नाटक में कौशांबी का राजा उदयन अवंति नरेश प्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता से प्रेम विवाह कर लेता है जिसके बाद वह प्रेम में लिप्त अपना राजश्री कर्तव्य भूलने लगता है।जिसके निवारण हेतु राज्य का मंत्री एक योजना बनाकर राजा का पुनः विवाह करवाता है तथा इस योजना में राजा की पहली रानी वासवदत्ता भी साथ मिलकर इस षडयंत्र को अंजाम देकर कौशांबी राज्य की रक्षा करता है.

फोटो : सुधीर कुमार

इसे भी पढ़ें : लोक वाद्य बनाने और बजाने का प्रशिक्षण देने वाली कार्यशाला

स्वपनवासवदत्ता नाटक का निर्देशन एवं परिकल्पना भाव राग ताल नाट्य अकादमी के निर्देशक कैलाश कुमार द्वारा किया गया और नाटक में संगीत धीरज कुमार लोहिया व नृत्य संरचना हेमंत गुरुजी द्वारा की गई.

फोटो : सुधीर कुमार

नाटक के मुख्य किरदारों का अभिनय रोहित यादव, प्रीति रावत अनीता बिटालू, वेंकटेश नकुल, विकास भट्ट, दीपक मंडल, जितेन्द्र धामी, सपना, तनुजा, सौम्या ने किया. प्रकाश व्यवस्था दीपांशु जोशी एवम सहायक अक्षय पंत, मुकेश कुमार रहे. गौरतलब है कि भाव राग ताल नाट्य अकादमी सीमांत जिले में थियेटर की संस्कृति को मजबूत करने का काम कर रही है. अकादमी द्वारा कई सालों से शहर में थियेटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और समय-समय पर नाटकों का मंचन भी करवाया जाता है.

-सुधीर कुमार

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago