Featured

पहाड़ में ऐसे पहुंचा हाईड्रेंजिया

उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जनपद में नेचुरालाइज्ड हो चुकी है यह खूबसूरत जापानी वनस्पति एक ऐसी वनस्पति है जो मिट्टी व वातावरण से जहरीले तत्वों को स्वयं में स्थापित करती है. मलेरिया व डायबिटीज में भी फायदेमंद कोरिया जापान अमरीका के अलावा भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में भी हो चुकी है नेचुरालाइज्ड. स्थानीय लोग इसे सुकुसुम के नाम से पुकारते हैं.

मूलतः जापान का एक पुष्प जो अपनी सुंदरता अमरीका योरोप और एशिया में बिखेर रहा है, इसका नाम है हाईड्रेंजिया मैक्रोफायला, अफसोस यह है कि सदियों से भारत भूमि में नेचुरालाइज्ड इस वनस्पति को हम कोई नाम देशी नही दे सके! न्यूजीलैंड, अमरीका और चाइना सहित अब यह पुष्प लोगों के घरों बगीचों और दिलों में भी जगह बना चुका है अपने नीलवर्ण व सुर्ख गुलाबी रंग की वजह से, मज़े की बात यह है कि हाइड्रेंजियेसी जीनस की इस प्राजाति यानी मैक्रोफाइला जिसके मायने ही होते है बड़े आकार के पुष्प, इस पुष्प के रंग बदलने की जादूगरी, दरअसल इस प्राजाति के पुष्पों में अलम्युनियम आयन होते है जो मिट्टी के पीएच यानी अम्लीयता और क्षारीयता के मुताबिक पुष्प का रंग बदल देते हैं, इस रासायनिक प्रक्रिया में यदि पुष्प अम्लीय मिट्टी यानी 7 से कम पीएच है तो नीले रंग के पुष्प पल्लवित होंगे, और यदि मिट्टी अम्लीय है तो गुलाबी, अब इस प्राजाति के इस गुण के चलते यदि आप चाहें तो इसके फूलों के रंग में मिट्टी की पीएच वैल्यू बदल कर कर सकते हैं, नीले रंग चाहिए मिट्टी को अम्लीय कर दे और गुलाबी पुष्प चाहिए तो क्षारीय कर दें मिट्टी को.

फोटो : अशोक पाण्डे

रंग बदलने की यह क्षमता भी इस प्रजाति मे यूँ ही नही है, इस गुण के लिए इस वनस्पति ने स्वयं में शिव तत्त्व का समावेश किया है, याद ही होगा आप सभी को भगवान शिव के गले मे विष धारण करने की कथा, बिल्कुल वैसा ही है, यहां भी कुछ वनस्पतियां घातक तत्वों को खुद में समाहित रखती है, बिना खुद को क्षति पहुंचाएं या यूं कह ले के वे विष तत्व इस वनस्पति का कुछ नही बिगाड़ पाते, जैसे लेड, आर्सेनिक, अलम्युनियम आदि आदि और इन्ही विष तत्वों के धारण करने की क्षमता के कारण इन वनस्पतियों को हाइपरअक्यूमिलेटिंग प्लांट कहते हैं, और एक और निहायत ज़रूरी बात, की ये प्लांट जहां मौजूद होंगे यानी जहां उगेंगे वहां की मिट्टी में यदि विष तत्व है तो ये पौधे उन हानिकारक तत्वों को खुद में जज्ब कर लेंगे और पौधे के ऊपरी भाग में इकट्ठा हो जाएंगे जैसे पुष्प व कलिकाएं वग़ैरह और यही कारण है कि इनके इन विषाक्त तत्वों से मिट्टी के अम्लीय व क्षारीय होने पर जो रासायनिक मसले होते है वह पुष्प के रंग को प्रभावित करते हैं.

अगर इंसानी सभ्यता में इस खूबसूरत पुष्पगुच्छ की बात करे इस वनस्पति की खासियतों पर नज़र डालें तो नतीज़े बहुत खूबसूरत और इंसानों के लिए मुफ़ीद हैं, मसलन इसकी जड़ में डाइयुरेटिक गुण हैं, यानी मूत्राशय से सम्बंधित बीमारियों लाभकर, इसकी पत्तियों में जड़ व पुष्पगुच्छ में हाइड्रानजेनॉल जो कि एक डाइहैड्रोआइसोकुमानिन (लैक्टोन) है जो कि फ़्लेवर व फ्रेगरेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, एक दूसरा महत्वपूर्ण डाइहैड्रोआइसोकुमानिन है इस पौधे में जिसे फाइलोड्यूसिन कहते है इसकी विशेषता यह है कि यह शक्कर से कई सैकड़ों गुना मिठास लिए होता है, इसकी पत्तियों में मौजूद हैड्रॉनजेईक एसिड डायबिटीज में लाभदायक इसका प्रयोग प्रयोगशाला में जंतुओं पर किया जा चुका है. ध्यान रहे विषाक्त तत्वों के धारण करने के कारण इसकी पत्तियों पुष्पों व जड़ आदि में जहरीले अवयव मौजूद रहते हैं. इसलिए कोई भी औषधीय प्रयोग स्वयं न करें! मलेरियारोधी गुणों से भी युक्त है यह वनस्पति.

फोटो : कृष्ण कुमार मिश्र

चलिए अब बात करते हैं इसके पुष्प विन्यास की, दरअसल ये एक पुष्प न होकर पुष्पों का गुच्छा है जिसे अंग्रेजी में इनफ्लोरसेन्स कहते हैं जैसे गेंदा का पुष्प और इस पुष्पगुच्छ की खासियत यह है कि इसके चारों तरफ के बड़े बड़े पुष्प जिनमें चार पंखुड़ियां होती हैं वह सुंदर होते है किंतु इन्फर्टाइल! और जो भीतर के पांच पंखुड़ियों वाले नन्हे पुष्प होते हैं वह फर्टाइल होते है, इसप्रकार यह पुष्प गुच्छ दो तरह के फूलों से बना होता है. इसकी बहुत सी वैराइटी बनाई गई है पुष्पों की खेती करने वालों की द्वारा, मोपहेड हाईड्रेंजिया यानी समान पुष्पों के गुच्छे वाला जिसमे नॉन फर्टाइल बड़ी पंखुड़ियों वाले पुष्प अधिक हो, ऐसी वैराइटी को अधिक पसन्द किया जा रहा है, लसकैप यानी जिसमें फर्टाइल नन्हे फूलों की अधिकता हो और उसके चारों तरफ कुछ कुछ बड़ी पंखुड़ियों वाले पुष्प हो, यह वाइल्ड वैराइटी भी बहुत खूबसूरत होती है ज्यादातर फ्लावर लवर्स इसकी गार्डनिंग कर रहे है. यह पुष्प कहीं कहीं शुभ तो कहीं अशुभ का प्रतीक हैं, कहीं तो इसे दिल की धड़कनों से भी जोड़ा गया है इसकी पंखुड़ियों की दिलनुमा आकृति की वजह से.

मुख्यतः यह हैड्रॉनजिएसी परिवार में ज्ञात लगभग 223 प्रजातियां है और हाईड्रेंजिया जीनस में लगभग 17 ज्ञात प्रजातियां हैं, हैड्रॉनजिया के मायने ही है पानी मे उगने वाले पौधे, नम भूमियों में जिनके भीतर जल की मात्रा अधिक हो यानी वाटर वेसेल्स, और यही कारण है कि कई देशों में जहां आग अधिक लगती है वहां घरों के आसपास इस प्राजाति के पौधों को लगाने की ताक़ीद की जाती हैं.

फोटो : अशोक पाण्डे

चाइना और भारत में बागवानी के शौक़ीन लोग इस प्राजाति को ख़ूब पसन्द कर रहे है, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में दन्या के निकट के गांवों में यह वनस्पति नेचुरालाइज्ड हो चुकी है, वहां इसे सुकुसुम के नाम से पुकारते है.

जापान में इस पौधे की पत्तियों से चाय बनाकर भगवान बुद्ध की प्रतिमा को नहलाया जाता है, इसकी पत्तियों का फर्मेंटेशन कराकर कई प्रकार के स्वादिष्ट पेय भी जापान और कोरिया में प्रचलित है. पुष्पप्रेमी इस सुकुसुम को एनचन्ट्रेस हाईड्रेंजिया भी कहते है, यानी मंत्रमुग्ध कर देने वाली.

तो अगर आप चाहते हैं कि आपके घर के आस पास की आबोहवा स्वच्छ रहे, जमीन और हवा का ज़हर ये पौधे जज्ब कर माहौल को तरोताज़ा बनाए तो ये सुंदर नीले व गुलाबी पुष्पगुच्छों वाली प्राजाति आपके लिए है!

यह लेख काफल ट्री की ईमेल आईडी पर कृष्ण कुमार मिश्र ने भेजा है. लखीमपुर खीरी के रहने वाले कृष्ण कुमार मिश्र दुधवालाइव अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के संस्थापक हैं.

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

13 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

6 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

2 weeks ago