1984 की सर्द जनवरी के महीने लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला अपनी पत्नी और दो बेटियों को जल्द लौटने का वादा कर यूनिट गये. भारतीय सेना ने अप्रैल 1984 में सियाचिन पर अपना कब्जा करने लिये ऑपरेशन ‘मेघदूत’ चलाया. जिम्मा 19 कुमाऊं रेजीमेंट के हिस्से था. 19 कुमाऊँ रेजीमेंट ने अतुल्य साहस दिखाया.
(Shaheed Chandrashekhar Herbola)
दुनिया के सबसे उच्चाई पर स्थित युद्ध स्थल पर भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी फ़ौज को ऐसी शिकस्त दी की उस समय पाकिस्तान की बड़ी नेता बेनजीर भुट्टो ने इन असफल सैन्य अभियानों पर अपने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ के लिए कहा था कि उन्हें बुरखा पहनना चाहिए क्योंकि वह अपनी मर्दानगी खो चुके हैं.
सियाचिन की चोटी पर कब्जे के बाद भी कुमाऊं रेजीमेंट के सैनिकों का काम पूरा नहीं था. अब उन्हें कठोर और विषम परिस्थितियों में दुनिया की सबसे कठिन पोस्ट की चौकसी करनी थी वह भी पाकिस्तान की धूर्त फ़ौज से.
(Shaheed Chandrashekhar Herbola)
यह 29 मई का एक सामान्य दिन था. किसी बर्फीले तूफान की कोई पूर्व सूचना न थी. 19 कुमाऊं रेजीमेंट के सिपाहियों की टुकड़ी ने अपना पाठ- ड्यूटी फर्स्ट, याद किया और जवानों की एक टुकड़ी पेट्रोलिंग पर निकली. शहीद चंद्रशेखर हर्बोला पेट्रोलिंग इस टुकड़ी के एक सदस्य थे. पेट्रोलिंग करते हुये यह टुकड़ी एक बर्फीले तूफ़ान की चपेट में आ गयी यह तूफ़ान सियाचिन ग्लेशियर का हिस्सा टूटने की वजह से आया. पेट्रोलिंग में गये सभी जवान शहीद हो गये.
लांस नायक चंद्रशेखर की पत्नी शान्तिदेवी को तार से एक खबर पहुंची. पहाड़ का हर परिवार जानता है एक समय सेना से तार के आने का क्या मतलब होता था. 23 वर्ष की शान्ति देवी के पास लांस नायक चंद्रशेखर की शहादत का एक तार था और थी एक बूढी सास और दो बेटियां. घटना के 38 साल बाद शान्ति देवी के मोबाईल पर एक फोन आया. फोन के दूसरी ओर से बताया गया कि वह आर्मी हेडक्वार्टर से बात कर रहे हैं. सियाचिन में एक लाश मिली है पहचान के लिये लांस नायक चंद्रशेखर का बैच नंबर जानना चाहते हैं.
इस बात की महज कल्पना की जा सकती है कि इन 38 वर्षों में शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शान्ति देवी ने क्या कुछ न झेला होगा. शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के पार्थिव शरीर को आज हल्द्वानी के चित्रशाला घाट में राजकीय सम्मान के साथ विदा किया जायेगा.
(Shaheed Chandrashekhar Herbola)
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