पहाड़ी नींबू करीब करीब बड़े दशहरी आम जितने बड़े होते हैं. माल्टा मुसम्मी और संतरे के बीच का एक बेहद रसीला फल होता है. ताज़ी पहाड़ी मूली में ज़रा भी तीखापन नहीं होता. भांग के बीजों में नशे जैसी कोई बात नहीं होती और कुमाऊं-गढ़वाल में जाड़ों में बनने वाले तमामतर व्यंजनों में इस का इस्तेमाल होता है.
बड़े पहाड़ी नींबू – २
पहाड़ी माल्टे – २
पहाड़ी मूली – १
दही – १/२ किलो
हरे धनिये और हरी मिर्च से बना मसालेदार नमक
भांग के भुने बीजों का चूरन
कतला हुआ गुड़ – ५० ग्राम
नीबू और माल्टे छील कर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. मूली के भी लम्बाई में टुकड़े कर लें. एक बड़ी परात में ऊपर लिखी सारी सामग्री मिलाकर सान लें. बस स्वाद के हिसाब से मीठा-नमकीन देख लें.
आमतौर पर काम-काज से निबटने के बाद घरेलू महिलाओं द्वारा इसे थोक में खाया जाता है. पुरुषों को करीब करीब भीख में मिलने वाले इस सान की मात्रा महिलाओं के मूड पर निर्भर करती है. इसे सर्दियों के गुलाबी सूरज में खाया जाए, ऐसा पुराने और विशेषज्ञ पाकशास्त्रियों का मत है.
इसे खाते वक्त महिला-मंडली में एक या दो अनुपस्थित महिलाओं का रोल सबसे महत्व का माना जाता है. इन्हीं अनुपस्थित वीरांगनाओं की निन्दा इस अलौकिक व्यंजन के स्वाद का सीक्रेट नुस्खा है.
-अशोक पांडे
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कृपया चावल के आटे से बनने वाले पहाड़ी मीठे व्यंजन की रेसिपी भी शेयर करें यह हमने नैनीताल में किसी के घर खाया था और आज तक उसका स्वाद याद है लेकिन नाम भी नहीं पता।