कथा

सफ़ेद सांप जिसने एक सेवक की जिन्दगी बदल दी- लोककथा

बहुत पुरानी बात है. एक राजा था, जो अपनी बुद्धि और ज्ञान के लिए अपने ही राज्य में नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी बड़ा प्रसिद्ध था. संसार में ऐसी कोई वस्तु नहीं थी, जिसका उसे ज्ञान न हो. कोई भी चीज और कोई व्यक्ति भी उसकी नजरों से बच नहीं सकता था. उसकी एक बड़ी अजीब आदत थी. हर दोपहर को जब घर के सब लोग खाना खा चुके होते थे और खाने की मेज से सारी चीजें उठाकर जब उसे बिलकुल साफ कर दिया जाता था और केवल राजा ही खाने के कमरे में अकेला बैठा होता तो उसका विश्वसनीय सेवक चाँदी के बर्तन में कुछ ढककर लाता और चुपचाप राजा के खाने की मेज पर रखकर चला जाता. उस सेवक के जाने के बाद राजा चुपचाप उस बर्तन को खोलता, उसमें कुछ निकालकर खाता और खाकर फिर उस बर्तन को उसी तरह कसकर बंद कर देता, जैसा उसका सेवक उसके पास छोड़ गया था. घर के किसी भी आदमी को यह नहीं मालूम था कि इस चाँदी के बर्तन में क्या चीज है क्योंकि घर के किसी भी व्यक्ति को उस बर्तन को खोलने की अनुमति नहीं थी. यहाँ तक कि राजा के विश्वसनीय सेवक को भी नहीं.
(Safed Saanp Folk Story)

एक दिन राजा के उस सेवक के मन में यह जानने की तीव्र इच्छा हुई कि इस चाँदी के बर्तन में ऐसा क्या है, जिसके बारे में राजा के घर के किसी भी व्यक्ति को नहीं मालूम और न ही उन्हें यह जानने की आज्ञा है. वह अपनी जिज्ञासा को रोक नहीं पाया. उसने सोच लिया कि आज वह यह जरूर जानकर रहेगा कि इस चाँदी के बर्तन में ऐसा क्या है, जिसको राजा सब लोगों के चले जाने के बाद ही मँगवाता है.

उस दिन जब वह सेवक अपने राजा के लिए वह बर्तन ले जाने लगा तो उसने महल के एक सूने कमरे के कोने में ले जाकर उसे खोला. उसने देखा कि एक छोटा सा सफेद साँप उबालकर उस चाँदी के बर्तन में रखा था और साथ ही छुरी-काँटा-चम्मच भी सफेद रंग के थे. उसने चुपके से साँप का एक टुकड़ा काटकर अपने मुँह में रख लिया, यह जानने के लिए कि यह ऐसी कौन सी स्वादिष्ट चीज है, जिसे राजा सबसे बाद में खाता है. जैसे ही सेवक ने उस सफेद साँप का एक टुकड़ा अपनी जीभ पर रखा, उसे महल के बाहर बैठी चिड़ियों की आवाजें साफ-साफ समझ में आने लगीं. तब उसने चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास खड़े होकर उनकी बातें सुनने की कोशिश की. वे दोनों चिड़िया अपने-अपने अनुभवों के बारे में एक-दूसरे को सुना रही थीं, जो उन्हें कल खेतों, खलिहानों और बागों में हुए थे. सफेद साँप ने राजा के सेवक को अब पशु-पक्षियों की भाषा समझने की शक्ति प्रदान कर दी थी. फिर वह चुपचाप जाकर राजा के चाँदी का कटोरा उसके खाने की मेज पर रख आया.

उसी दिन एक ऐसी घटना घटी कि राजा के सेवक को राजमहल छोड़ना पड़ा क्योंकि उसी दिन रानी की हीरे की अंगूठी कहीं गिर गई. रानी को राजा के इस विश्वसनीय सेवक पर शक हुआ क्योंकि सिर्फ उसी सेवक को पूरे महल में आने-जाने की अनुमति थी. राजा ने अपने सेवक को बुलाकर रानी की हीरे की अंगूठी के बारे में पूछा, पर उस सेवक ने कहा कि उसने यह अंगूठी कहीं भी नहीं देखी. राजा ने उसे बहुत धमकाया कि अगर कल सुबह तक उसने अँगूठी के चोर को नहीं ढूँढ़ा तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा. वह सेवक बार-बार अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश करता रहा, पर राजा ने उसकी एक न सुनी. जेल और मौत के भय ने उसकी जिंदगी दूभर कर दी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी हालत में वह क्या करे, किससे मदद माँगे. ऐसा सोचते-सोचते वह महल के बाहर बने हुए तालाब के किनारे पर जाकर बैठ गया और अपनी मौत का इंतजार करने लगा क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि कल सुबह तक उसे इस खोई अँगूठी का पता नहीं चल सकेगा और राजा उसे मौत की सजा सुना देगा.

वह ऐसा सोच ही रहा था कि तभी सफेद रंग की दो बतखें वहाँ तैरती हुई आई और आपस में बातें करने लगीं. वह सेवक ध्यान से उन दोनों की बातें सुनने लगा. एक बतख ने दूसरी बतख को बताया, ‘मेरे पेट में कुछ चुभ रहा है. आज जब रानी-राजा सुबह सैर करने आए थे तब रानी ने पानी से हाथ धोने के लिए इस तालाब में हाथ डाले तो उसकी अंगूठी पानी में गिर गई और मैंने उसे झट से निगल लिया. अब वही अंगूठी मेरे पेट में चुभ रही है.’
(Safed Saanp Folk Story)

सेवक ने जैसे ही उस बतख की बात सुनी, वह फौरन तालाब में उतर गया; उस बतख को पानी से निकालकर ले आया और दौड़ा-दौड़ा रसोई में जाकर रसोइए से बोला, ‘आज शाम के भोजन के लिए तुम इस बतख को काटो.’ रसोइए ने कहा, ‘ठीक है, तुम इसे यहीं छोड़ जाओ, मैं बाद में काटूंगा.’ पर बेचारे सेवक को शांति कहाँ थी. वह तो अपनी मौत के डर से परेशान था. सो उसने खुद ही उस बतख को काटने के लिए बड़ा सा चाकू उठाया और उसका पेट चीर दिया. सचमुच ही उसके पेट से हीरे की बड़ी सी अंगूठी बाहर आ गिरी. अब वह सेवक खुशी-खुशी उस अंगूठी को राजा के पास ले गया और अपनी बेगुनाही साबित की. राजा उससे बहुत खुश हुआ और उससे कहा कि वह जो कुछ भी मांगेगा, वह उसे जरूर देगा. सेवक ने राजा से विनती की, ‘हे महाराज, मैंने आपकी बहुत दिनों से बड़ी लगन और सच्चाई से सेवा की है, पर अब मैं कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर जाना चाहता हूँ. इसके लिए मुझे कुछ धन की और एक तेज घोड़े की जरूरत है. अगर आप मुझपर कृपा करें तो ये दोनों चीजें मुझे इनाम में दे दें.’

राजा ने उसकी विनती सहर्ष स्वीकार कर ली. राजा का सेवक यात्रा के लिए बहुत सारा धन लेकर और घोड़े पर सवार होकर देश-विदेश की यात्रा पर निकल पड़ा. वह अपनी यात्रा पर जा रहा था कि रास्ते में उसे एक तालाब मिला, जिसके एक किनारे पर तीन मछलियाँ पानी से बाहर पड़ी तड़प रही थीं. वह झट से घोड़े से उतरा और उन तीनों मछलियों को उठाकर तालाब में डाल दिया. पानी में पहुँचते ही तीनों मछलियाँ खुश होकर बोलीं, ‘हम तीनों तुम्हें याद रखेंगी और जब तुम्हें जरूरत होगी हम तुम्हारे काम आएँगी, क्योंकि तुमने हमारी जान बचाई है.’

सेवक मछलियों की बात सुनकर खुशी-खुशी वहाँ से आगे बढ़ गया. काफी देर चलने के बाद वह थोड़ा आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे रुका, तो देखा कि कौवा-कौवी अपने छोटे-छोटे बच्चे को चोंच मार-मारकर अपने घोंसले से निकाल रहे थे और साथ में बोलते भी जा रहे थे, ‘अब तुम सब बच्चे बड़े हो गए हो. निकलो हमारे घोंसले से. अब अपना भोजन तुम खुद ढूँढ़ो. हम तुम्हें और नहीं खिला सकते.’

कौवे के बच्चे बड़ी जोरों से चीख-पुकार कर रहे थे और अपने माता-पिता से प्रार्थना कर रहे थे कि वे उन्हें कुछ दिन और इस घोंसले में रहने दें. थोड़ा और बड़े होने पर वे खुद ही यह घोंसला छोड़ देंगे. कौवा उन्हें रखने के लिए तैयार नहीं था. वह चाहता था कि जितनी जल्दी वे उसके घर से जाएँगे, उतनी जल्दी वे स्वावलंबी हो सकेंगे.

उस सेवक को उन बच्चों पर बहुत तरस आया. उसने अपने लिए जो खाने का सामान इकट्ठा किया था, वह सब उस पेड़ के नीचे उन बच्चों के लिए छोड़ दिया और थोड़ी देर बाद वहाँ से उठकर चला गया. कौवे के बच्चों ने जब खाने का इतना सारा सामान देखा तो बड़ी ही कृतज्ञता से बोले, ‘हम तुम्हें हमेशा याद रखेंगे और तुम्हारी इस दया का प्रतिदान जरूर चुकाएँगे, क्योंकि तुमने हमें भूखों मरने से बचाया है.’ उनकी यह बात सुनकर सेवक आगे चल दिया.
(Safed Saanp Folk Story)

चलते-चलते वह एक बड़े से नगर में पहुँचा. इस नगर में चारों ओर बड़ी भीड़ थी और सड़कें भी लोगों से भरी थीं. भीड़ से गुजरते हुए उस सेवक ने एक आदमी से पूछा, ‘भाई, यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों लगी हुई है?’ आदमी बोला, ‘हमारे राजा की एक बेटी है. राजा अपनी बेटी के लिए कोई बहादुर और सुंदर सा वर ढूँढ़ रहे हैं, मगर उस लड़के को अपनी बहादुरी के करिश्मे दिखाने पड़ेंगे. कुछ नवयुवकों ने बहादुरी के कुछ कारनामे दिखाने की कोशिश की थी, पर उन सबको अपनी जान से हाथ धोने पड़े.’

सेवक वहाँ से राजमहल की ओर चल पड़ा. जब वह राजमहल के पास पहुँचा तो उसने राजकुमारी को अपने महल की खिड़की पर खड़ा देखा, जो सचमुच बहुत सुंदर थी. उस सुंदर राजकुमारी के आगे यह जान क्या चीज है, खतरा मोल लेने में क्या हर्ज है! अगर मर गया तो सेवक की जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगा और जीवित बच गया तो एक सुंदर राजकुमारी का पति बनकर ऐश करेगा-ऐसा सोचकर वह भी राज-दरबार में पहुँचा और राजकुमारी से शादी करने का प्रस्ताव राजा के सम्मुख रखा. राजा उसे अपने सिपाहियों के साथ समुद्र के किनारे ले गया और समुद्र में एक सोने की अंगूठी फेंककर बोला, ‘तुम इसे खोजकर वापस मेरे पास लाओ. अगर तुम बिना अंगूठी लिये ऊपर आओगे तो तुम्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा.’

वह सेवक समुद्र में घुसा, पर इतनी गहराई में डुबकी लगाना इतना आसान नहीं था. उसे उसी समय तीन मछलियों की याद आई, जिनकी जान उसने बचाई थी. उसके याद करते ही वे तीनों मछलियाँ अंगूठी लेकर उसके सामने हाजिर हो गई. सेवक ने उन तीनों मछलियों को हृदय से धन्यवाद दिया और अँगूठी लेकर कुछ ही देर में समुद्र से बाहर आ गया. राजा यह देखकर बहुत हैरान हुआ. सेवक ने राजा की बेटी से विवाह करने की माँग की तो उसने दूसरी शर्त उसके सामने रख दी. राजा के सैनिक उसे महल के बाहर वाले बगीचे में ले गए. वहाँ पर उन्होंने एक बोरी में भरा बाजरा जमीन पर बिखेर दिया. राजा ने आज्ञा दी कि अगले दिन सुबह तक सारा बाजरा बोरी में भरा होना चाहिए, नहीं तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. मिट्टी से बाजरा बीनना भी कोई आसान काम न था. पूरे दिन वह यह काम करता रहा, पर जब थक गया तो उसे कौवे के बच्चे याद आए. जैसे ही चारों तरफ अँधेरा छाया वैसे ही कौवे के बच्चे उसका सारा बाजरा चुगकर बोरे में डालने लगे और सुबह तक बोरी बाजरे से पूरी तरह भर गई. वहाँ एक भी दाना जमीन पर नहीं मिला.

दूसरी शर्त भी पूरी करने पर वह सेवक राजा के पास उसकी बेटी का हाथ माँगने गया, पर राजा अभी भी उससे अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार नहीं था. उसने सेवक के सामने एक नई और आखिरी शर्त रखी क्योंकि इस शर्त को पूरा करना किसीके भी बस की बात नहीं थी. राजा को पक्का विश्वास था कि उसकी नई शर्त को यह लड़का पूरा नहीं कर सकेगा. वह शर्त थी-उसकी बेटी के लिए सोने का सेब लेकर आना.
(Safed Saanp Folk Story)

बेचारे सेवक को पता ही नहीं था कि सोने का सेब सचमुच होता भी है और अगर होता है तो कहाँ होता है? वह इसी सोच में अपने घोड़े पर चढ़कर सोने के सेब की खोज में निकल पड़ा. पर कहाँ जाए. इसी सोच में वह उस राजा के राज्य की सीमा से बाहर आकर एक जंगल में घुस गया. चलते-चलते जब वह थक गया तो घोड़े से उतरकर एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा. तभी एक सोने का सेब उसके सामने आकर गिरा. सेब देखकर वह बहुत हैरान हुआ. उसने ऊपर निगाह दौड़ाई तो कौवे के बच्चों को पेड़ पर बैठे देखा. उस सेवक ने उन्हें अपने पास बुलाया और उनसे उस सेब के बारे में पूछना चाहा, पर उन बच्चों ने कुछ नहीं बताया और बोले, ‘हमने जैसे ही सुना कि तुम्हें सोने का सेब लाने की शर्त परी करनी है, तो हम इसकी खोज में निकल पड़े और बड़ी ही मुसीबतों के बाद यह हमें मिला और अब यह तुम्हारे सामने है. तुम इसे राजा के पास ले जाओ और राजकुमारी से विवाह कर लो, क्योंकि इस बार राजा और कोई शर्त नहीं रखेगा. यह सोने का सेब तुम्हारे लिए भी भाग्यशाली है.’

सेवक खुशी-खुशी राजा के पास पहुँचा और सोने का सेब उसके सामने रख दिया. राजा के पास अब और कोई बहाना नहीं बचा. जो इस सोने के सेब को ले आया, उससे बढ़कर बहादुर और साहसी और कौन हो सकता है-यह सोचकर राजा ने खुशी-खुशी अपनी बेटी का विवाह उस सेवक के साथ कर दिया. सोने का सेब भी उसी को इनाम में दे दिया, क्योंकि यह सेब उसकी बेटी के जीवन में खुशियाँ लाया था.
(Safed Saanp Folk Story)

नोट- यह कहानी जर्मन परी कथा ‘द व्हाइट स्नेक’ का हिन्दी अनुवाद है जिसे ब्रदर्स ग्रिम द्वारा एकत्र किया गया था.

यह लोक कथा हिन्दी कहानी वेबसाइट से साभार ली गयी है.

-काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago