कला साहित्य

पहाड़ मेरे लिए माँ की गोद जैसा है

मसूरी और देहरादून के नामों के साथ रस्किन बांड (Ruskin Bond Writer Birthday ) का नाम लम्बे समय से जुड़ा रहा है. एक लम्बे अरसे से वे देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखकों में शुमार हैं. मसूरी में रहते हुए रस्किन बांड को कोई 56 साल बीतने को आये हैं. बहुत छोटी आयु में लेखक बनने का सपना लेकर मसूरी रहने आये बांड ने तभी समझ लिया था कि बड़े शहरों का जीवन उनके लिए नहीं बना है.

जो कोई मसूरी जाता है उनसे मिलना जरूर चाहता है. उनकी किताबों में आने वाले साधारण से पात्र अपने ह्यूमर और अपनी सादगी से अपनी कहानियां सुनाते आये हैं और इन कहानियों के लेखक ने एक बार भी बड़ा लेखक होने का गुमान नहीं पाला.

वे अपने प्रशंसकों के लिए एक लेखक से बढ़कर एक आलीशान मनुष्य हैं – सादगी और हास्यबोध से भरपूर – अपने अनेक पात्रों की तरह.

अपने जीवन के बारे में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था – “मुझे लिखते हुए 65 से ज्यादा साल हो गए. इसी से मैंने अपना जीवनयापन किया है. मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ कि मैं वैसा जीवन जी सका जैसा जीना चाहता था. ऐसे कर सकने वाले बहुत सारे लोग नहीं होते. मुझे ईश्वर को धन्यवाद देना है कि उसने मुझे ऐसी जिन्दगी दी जिसमें बहुत ज़्यादा झमेले और हताशाएं नहीं थीं. मैंने अपनी बुद्धि की जगह अक्सर अपनी इंस्टिंक्ट पर भरोसा किया है.”

मसूरी में उनके घर का नाम है आइवी कॉटेज.

पहाड़ों में अपने निवास को लेकर वे कहते हैं – “पहाड़ों में रहना ऐसा है जैसे कि आप एक मजबूत, गर्वीली और हमेशा दिलासा देती रहने वाली माँ की गोद में बैठे हों. घर से हर बार दूर जाने के बाद यहाँ वापस लौटना हमेशा पहले से ज्यादा आह्लादकारी होता है.”

कुछ वर्ष पहले पत्रकार शालिनी जोशी ने उनसे पूछा था कि वे किस तरह याद किया जाना पसंद करेंगे. इस सवाल का जवाब रस्किन बांड की पूरी पर्सनालिटी की परिभाषा है. उन्होंने उत्तर दिया था – “एक तोंदियल बूढ़ा जिसकी दोहरी ठुड्डी थी.” फिर उन्होंने हंसते हुए आगे जोड़ा – “मैं चाहूंगा कि लोग मेरी किताबें पढ़ते रहें. कई बार लोग जल्द ही भुला दिये जाते हैं. हालांकि कई बार ऐसा होता है कि मौत के बाद कुछ लोग और प्रसिद्ध हो जाते हैं. मुझे अच्छा लगेगा कि लोग मेरे लेखन का आनन्द उठाते रहें.”

रस्किन बांड की कुछ विख्यात किताबों में शामिल हैं – ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स, घोस्ट स्टोरीज फ्रॉम द राज, डेल्ही इज नॉट फ़ार, इंडिया आई लव, पैंथर्स मून ऐंड अदर स्टोरीज़ औऱ रस्टी के नाम से उनकी आत्मकथा की श्रृंखला..

एक ऐसा गणितज्ञ जिसने साहित्य का नोबेल पुरुस्कार जीता
रवीन्द्रनाथ टैगोर उत्तराखण्ड के रामगढ़ में बनाना चाहते थे शांतिनिकेतन
अल्मोड़ा में रामचंद्र गुहा का भाषण : दस कारण जो गांधी को अब भी प्रासंगिक बनाते हैं

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 week ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

2 weeks ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

2 weeks ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

2 weeks ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

2 weeks ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

2 weeks ago