Featured

तारा पांडे जिनके संग्रह की भूमिका मैथिली शरण गुप्त ने लिखी थी

1915 में दिल्ली में जन्मीं तारा पांडे के जीवनवृत्त को ख्यात लेखिका नमिता गोखले ने अपनी प्रसिद्ध किताब ‘माउन्टेन एकोज़’ में जगह दी है. इस पुस्तक में उनके अलावा तीन अन्य कुमाऊनी मूल की महिलाओं के जीवन के बारे में दुर्लभ और बहुमूल्य जानकारी मिलती है.

श्रीमती तारा पांडे का लालन-पालन उत्तराखंड के अल्मोड़ा नगर में हुआ था. बहुत कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद उन्होंने हिन्दी में कविताएं लिखीं. सुमित्रानंदन पन्त उनके निकट सम्बंधी थे और उन्हें उनके अलावा महादेवी वर्मा का भी स्नेह-सान्निध्य प्राप्त हुआ. उन्होंने बहुत छोटी आयु से कविता-रचना शुरू कर दी थी जिसे वे अहले साठ वर्षों तक करती रहीं.

1942 में उन्हें अपने संग्रह ‘आभा’ के लिए सेकसरिया पुरस्कार मिला और 1998 में उ.प्र. हिंदी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान का सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’ उनकी अनेक रचनाएं प्रकाशित हुईं जिनमें प्रमुख हैं – वेणुकी, अंतरंगिणी, विपंची, काकली, सुघोष, मणि पुष्पक, पुष्पहास, स्मृति सुगंध तथा छिन्न तूलिका और सांझ इत्यादि.

वर्ष 2001 में उनका देहांत हुआ.

भारत प्रेस, काशीपुर से दस मार्च 1964 को छपी उनकी पुस्तक ‘सांझ’ की प्रस्तावना मैथिलीशरण गुप्त ने लिखी थी. इस भूमिका में वे लिखते हैं –

साँझ उनके गीतों का नवीनतम संकलन है जिसकी भाषा सरल है. श्रीमती तारा जी के गीतों में माधुर्य है, उनकी कविता में प्रवाह है. प्रकृति से उन्हें सदा प्रीति रही है और उनके गीतों में अनुभूति की सत्यता है. तारा जी के लिए मेरे मन में आदर है, इसका कहना ही क्या. उनकी साहित्य साधना सदा होती रहे यही कामना है.

प्रस्तुत है ‘सांझ’ से उनका एक गीत:

सपनों की दुनिया से मन को नहीं भुलाना

स्वप्नों की सुन्दरता ने मुझ को बहलाया
कोयल ने मृदु राग सुना कर मुझे रुलाया
मैं रोई दिन रात लिखा आंसू से गाना
सपनों की दुनिया से मन को नहीं भुलाना

तारों की झिलमिल आभा में लिखी कहानी
प्राणों में थी पीर बहाती आँखें पानी
मेरे उर का गीत भला किसने पहचाना
सपनों की दुनिया से मन को नहीं भुलाना

मधु-ऋतु की सुन्दर वेला में पतझड़ मुझे दिखाया
व्यथा भरे अंतर से मैंने उसको ही अपनाया
मुझे हो गया सहज आज दुःख को अपनाना
सपनों की दुनिया से मन को नहीं भुलाना

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

2 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

4 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

1 week ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago