नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों तक शादियों की रिकार्डिंग मध्यवर्ग तक पहुंच चुकी थी. हर दूल्हा-दुल्हन की पहली मुलाक़ात पर तीन इंच मोटे उस कैसेट में एक गाना जो बैकग्राउंड में बजाया जाता था बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है. 2013 में जब बीबीसी ने जब भारतीय फिल्म जगत के सौ बरस पूरे होने पर एक पोल चलाया तो बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है गाने को पहला स्थान मिला था.
मेरा नाम जोकर फिल्म का गीत जाने कहा गये वो दिन… आज भी किसी रुआंसा कराने को काफी है. सौ साल पहले हमें तुम से प्यार था आज भी है और कल भी रहेगा गाकर न जाने कितने प्रेमियों ने अपनी प्रेमिका को मनाने की कोशिश की होगी.
आजा सनम मधुर चांदनी में हम तुम मिलें तो वीराने में भी आ जाएगी बहार भारत के गांव-गांव तक फैला गीत है. साठ और सत्तर के दशक में जन्मी शायद ही कोई महिला रही हो जिसके पसंदीदा गानों में यह शामिल न हो. संगम फिल्म का गीत ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर के तुम… साठ और सत्तर के प्रमियों का घोषणापत्र बन गया था और फिर बदन पे सितारे लपेटे हुए को कौन भूल सकता है.
1940 के दशक में भारतीय सिनेमा में कदम रखने वाले हसरत जयपुरी के लिखे ये गीत आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. आज हसरत जयपुरी का जन्मदिन है. आज ही के दिन हसरत जयपुरी, जयपुर में 1918 के बरस पैदा हुए थे.
ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें शायरी विरासत में मिलती है असल काम उसे संभालना है. हसरत जयपुरी ने अपनी विरासत को संभाला नहीं बल्कि उसी से मोहब्बत कर ली. हसरत जयपुरी के नाना फ़िदा हुसैन फ़िदा मशहूर शायर थे.
हसरत जयपुरी अपने हर इंटरव्यू में एक बात का जिक्र जरुर करते. वो बताते थे कि जयपुर से मुम्बई आने के बाद उन्होंने शुरु के आठ साल कंडेक्टर का काम किया था. इसका एक ख़ास कारण हसरत जयपुरी यह मानते थे कि खुबसूरत चेहरों के दीदार के लिए बस कंडेक्टर से बेहतर नौकरी और कोई न थी. दिन भर के खुबसूरत चेहरों को याद कर हसरत जयपुरी रात भर गजलें लिखा करते. एक दिलचस्प बात इसमें यह रही कि बस में चढ़ने वाली खुबसूरत सवारी से उन्होंने कभी टिकट नहीं लिया.
एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर ने हसरत जयपुरी को ‘मजदूर की लाश’ कविता पढ़ते सुना था जिसके बाद उन्हें राजकपूर से मिलाया गया. हसरत जयपुरी का पहला गीत बरसात फिल्म का ‘जिया बेकरार है, छाई बहार है, आजा मोरे बालमा तेरा इंतजार है’ था.
हसरत जयपुरी ने अपने कई सारे गीत जीवन के निजी मौकों पर लिखे थे. कहा जाता है कि संगम फिल्म का गीत ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर के तुम… अपनी प्रेमिका राधा के लिये लिखा था. उसी तरह तेरी प्यारी-प्यारी सूरत को… लिखा था.
रूमानियत हसरत जयपुरी के गीतों की एक ख़ास बात हुआ करती थी यही कारण है कि उनके लिखे गीत युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हुआ करते थे. सिचवेशन बेस्ड होने के कारण उनके गीतों के प्रयोग फिल्मों में खूब किया जाने लगा.
हसरत जयपुरी के विषय में एक समय भारतीय सिनेमा में यह धारणा बन गयी थी कि फिल्म का शीर्षक गीत अगर उनका लिखा हो तो उसका हिट होना तय है. दिल एक मंदिर है (दिल एक मंदिर), रात और दिन दिया जले (रात और दिन), एक घर बनाऊंगा (तेरे घर के सामने), दो जासूस करें महसूस (दो जासूस), एन ईवनिंग इन पेरिस (एन इवनिंग इन पेरिस) आदि इसके उदाहरण हैं.
हसरत जयपुरी के दौर के दूसरे सबसे मसहूर गीतकार शैलेन्द्र थे. शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी के गीतों के बीच गजब की प्रतिस्पर्धा थी. जिसका अंतिम फायदा भारतीय सिनेमा को मिले उनके लिखे गीत के रूप में हुआ.
हसरत जयपुरी ने अपने 40 साल के कैरियर में 350 फिल्मों के लिये करीब 2000 गाने लिखे.
– काफल ट्री डेस्क
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