अंग्रेजों का रानीखेत प्रेम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. यहाँ की आबोहवा उन्हें बहुत रास आई थी. ब्रिटिश राज के दौरान मैदानी इलाकों में गर्मी, मच्छरों और नमी जैसे अपरिचित तत्वों से जुझने को विवश उनके अनेक सैनिक और अधिकारी बीमार पड़ जाया करते थे. इन बीमार अंग्रेजों को स्वास्थ्य लाभ के लिए रानीखेत भेजा जाता था. (Ranikhet Academy in England)
रानीखेत की कुमाऊं रेजीमेंट के सैनिक अपनी बहादुरी के लिए लम्बे समय से विख्यात रहे हैं, पहले और दूसरे विश्वयुद्धों के दौरान इस रेजीमेंट और उसके इतिहास से सम्बद्ध अनेक सैनिकों की वीरता और उनके बलिदानों की अनेक न भूलने वाली कहानियां तमाम दस्तावेजों में दर्ज हैं. इन दिवंगत सैनिकों में अनेक अंग्रेज भी थे.
दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गए ऐसे ही अंग्रेज सैनिकों की स्मृति में इंग्लैण्ड के रीडिंग नामक स्थान में नवम्बर 1970 में एक स्कूल खोला गया जिसका नाम रखा गया रानीखेत प्राइमरी स्कूल. इस नाम के धरे जाने के पीछे एक कहानी और है. जिस जमीन पर यह स्कूल बनाया गया उस पर दूसरे विश्वयुद्ध के समय एक सैन्य प्रशिक्षण डिपो स्थापित किया गया था जिसका नाम रानीखेत डिपो रखा गया. उस समय यहाँ रॉयल बर्कशायर रेजीमेंट का बेस भी था.
स्कूल की वेबसाईट में रानीखेत को “तिब्बत बॉर्डर के समीप एक भारतीय हिल स्टेशन बताया” गया है.
नवम्बर 2015 में इस स्कूल का नाम बदल कर रानीखेत अकेडमी कर दिया गया. यह स्कूल फिलहाल इंग्लैण्ड के प्रतिष्ठित रीच टू (Reach 2) स्कूल समूह का हिस्सा है.
यूरोपीय शिक्षा पद्धति विश्व भर में विख्यात है. रानीखेत अकेडमी के ट्वीटर हैंडल पर लगी तस्वीरें साफ़ बताती हैं कि इंग्लैंड में रीडिंग क्षेत्र के लोगों की पहली पसंद रानीखेत अकेडमी क्यों है.
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-काफल ट्री डेस्क
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ये हम रानीखेत वासियों के लिये गर्व की बात है।