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‘आई एम पहाड़ी’ टी-शर्ट के पीछे मेहनत करने वाले उत्तराखंड के युवा रमन शैली को जानिये

एक पहाड़ी ऐसा भी जहाँ एक तरफ पहाड़ का युवा शहरों की तेज़ तर्रार भागती ज़िन्दगी का दीवाना है वहीं दूसरी तरफ 6 साल तक बैंगलोर में रहने के बाद भी इंजीनियर का तमगा छोड़ एक पहाड़ी युवा ने पहाड़ो का रूख किया. ये कदम कई लोगों को साहसिक लगा कई लोगों को मूर्खतापूर्ण. पर इस फैसले के पीछे थी किसी की निस्वार्थ प्रेम की भावना और मातृभूमि के प्रति समर्पण. (Raman Shaili Founder of Tuds)

10 जून 1992 को चमोली जिले के गौचर में जन्मे रमन शैली आज उत्तराखंड का एक जाना माना चेहरा हैं, उत्तराखंड में रह रहे युवाओं के लिए वो प्रेरणास्रोत हैं. प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय गौचर से प्राप्त करने के बाद उन्होंने रुड़की के इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री प्राप्त की, डिग्री के बाद क़रीबन 6 साल उन्होंने बैंगलोर में बिताये, नौकरी तो बैंगलोर में थी पर मन उत्तराखंड में ही बसा था. (Raman Shaili Founder of Tuds)

काफी विचार विमर्श के बाद रमन और उनके कॉलेज के साथियों ने शुरुवात की द अननोन डिजायनर्स, Tuds (The Unknown Designers) नामक एक स्टार्टअप की. सुन्दर टीशर्ट और बेहतरीन पहाड़ी बैज Tuds की पहचान हैं और अननोन डिज़ाइनर नाम से जाना जाने वाला ये ब्रांड बिलकुल अननोन नहीं रह गया है.

बड़े बुजुर्ग युवा या बच्चे Tuds के प्रोडक्ट्स सबके दिलो दिमाग़ में घर कर चुके हैं. उत्तराखंड के हर चर्चित चेहरे के पास Tuds की टीशर्ट ज़रूर मिल जाएगी, अगर आप उत्तराखंड से प्यार करते हैं और यहाँ के लिए कुछ करना चाहते हैं तो Tuds आपका खुली बाहों से स्वागत करता हैं उभरते डिज़ाइनर्स और कलाकारों के लिए तो Tuds उनका परिवार ही हैं .

रमन को अगर उत्तराखंड का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाये तो गलत नहीं होगा. गढ़वाली और कुमाऊंनी दोनों ही भाषाओं में मजबूत पकड़ हैं इनकी और इनका हसमुख व्यवहार इनकी खासियत हैं.

रमन का मकसद सिर्फ टीशर्ट बनाना और युवा कलाकारों को मंच देना नहीं हैं उनका मुख्य उद्देश्य है एक नये उत्तराखंड की रचना जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सशक्त हो जहा राज्य की तरक्की में युवाओं की सहभागिता रहे और राज्य को एक ब्रांड के रूप में विश्व के सामने रखना हैं.

हाल ही में Tuds द्वारा शुरू की गयी मुहीम हिटम्यारपहाड़ सुर्खियों में  रहा हैं, जिसमें वो उत्तराखंड में प्लांड टूरिज्म का सन्देश लेकर आये हैं और अप्रवासी उत्तराखंड वासियों के लिए इगास या बूढी दिवाली अपने पैतृक गाँव में मनाने का सन्देश भी दे रहे हैं.

उत्तराखंड से जितना प्रेम मिला हैं उससे दुगना लौटाने की भावना रखने वाले रमन उस हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करना चाहते हैं.

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Girish Lohani

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