राम दत्त जोशी का जन्म नैनीताल जिले के भीमताल इलाके के शिलौटी गांव में कुमाऊं के राजा के ज्योतिर्विद पं० हरिदत्त जोशी के घर में 1884 में हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. कुछ समय हल्द्वानी बेलेजली लाज में चलने वाले मिशन स्कूल में भी उन्होंने शिक्षा ली. Ram Dutt Joshi Panchang
इसके बाद राम दत्त जोशी पीलीभीत स्थित ललित हरि संस्कृत विद्यालय में पढ़ाई के लिये पहुंचे. पढ़ाई के दौरान वे यहां सनातन धर्म के व्याख्याता और प्रचारक पं. द्वारिका प्रसाद चतुर्वेदी और पं. सोमेश्वर दत्त शुक्ल के संपर्क में आये. यही वे सनातन धर्म महासभा के पदाधिकारी पं. ज्वाला प्रसाद मिश्र, स्वामी हंस स्वरुप, पं. गणेश दत्त, पं. दीनदयाल शर्मा के सम्पर्क में आये.
इसी दौरान राम दत्त जोशी आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती, पं. गिरधर शर्मा और पं. अखिलानन्द शर्मा के भी संपर्क में आये और लाहौर, अमृतसर, अलवर, जयपुर सहित पंजाब और राजस्थान के कई छोटे-बड़े शहरों में सम्पन्न शर्म सम्मेलनों को सम्बोधित कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार किया.
विक्रमी संवत 1964 में भारत धर्म महामंडल ने आपको धर्मोपदेशक की उपाधि से विभूषित किया. सम्वत 1973 और 1983 में इसी संस्था ने आपको ज्योर्तिभूषण और महोपदेशक की उपाधियों से विभूषित किया. Ram Dutt Joshi Panchang
राम दत्त जोशी, ज्योतिष के सशक्त एवं सिद्धहस्त लेखक थे. अपने जीवन काल में उन्होंने 7 पुस्तकें लिखी थी. ज्योतिष चमत्कार समीक्षा, महोपदेशक चरितावली, नवग्रह समीक्षा, प्राचीन हिन्दू रसायन शास्त्र, समय दर्पण, ठन-ठन बाबू और पाखण्ड मत चपेटिये उनकी पुस्तकों के नाम हैं.
कुछ काल के लिये अवरुद्ध अपनी कुल परम्परा में पंचांग गणना को स्थिर रखते हुये उन्होंने फिर से विक्रमी संवत 1963 में श्री गणेश मार्तण्ड पंचांग मुंबई से प्रकाशित करवाया. उसके बाद उनका पंचांग कुमाऊं भर में लोकप्रिय हो गया. आज भी उनके द्वारा बनाये पंचांग को आम भाषा में राम दत्त पंचांग कहा जाता है. उनके बाद उनके भतीजे स्व. पं. विपिन चन्द्र जोशी द्वारा इस पंचांग को परिवर्धित किया गया और आज 104 साल बाद भी इनकी पीढी इस पंचांग को प्रतिवर्ष प्रकाशित कराती आ रही है.
कुमाऊं केसरी स्व. बद्री दत्त पाण्डे को राम दत्त जोशी ने कुमाऊं का इतिहास लिखने में विशेष सहयोग दिया था. संगीत और रामचरित मानस में रामदत्त जोशी की विशेष रुचि थी. 1906 में उन्होंने भीमताल में रामलीला कमेटी बनाकर वहां पर रामलीला मंचन का कार्य शुरु करवाया. 1938 में हल्द्वानी में उन्होंने सनातन धर्म सभा की स्थापना की और इस सभा से माध्यम से सनातन धर्म संस्कृत विद्यालय की स्थापना करवाई.
राम दत्त जोशी घुड़सवारी में भी सिद्धहस्त थे तथा उन्होंने जीवन में नियमितता, अनुशासन, स्वाध्याय और देवार्चन को बहुत महत्व दिया था. फलित ज्योतिष की घोषणाओं के कारण उनको तत्कालीन कई रजवाड़ों और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने समय-समय पर सम्मानित भी किया. 1962 में राम दत्त जोशी का देहान्त हो गया. Ram Dutt Joshi Panchang
शक्ति प्रसाद सकलानी की पुस्तक उत्तराखण्ड की विभूतियां से.
उत्तराखंड के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में शक्ति प्रसाद सकलानी का जन्म 4 जून 1936 को टिहरी गढ़वाल जिले के भैंसकोटी गांव में हुआ. इतिहास, संस्कृति, पत्रकारिता आदि विषयों पर उनकी 18 शोधपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
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