Featured

आदि बद्री मंदिर की तस्वीरें

कर्णप्रयाग से रानीखेत जाने वाले रास्ते पर 16 छोटे-छोटे प्राचीन मंदिरों का एक समूह है. यह मंदिर आदि बद्री मंदिर है जिसका प्राचीन नाम नारायण मठ कहा जाता है.

पौराणिक मान्यता यह है कि भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भगवान विष्णु पहले तीन युगों में इसी मंदिर में रहे थे लेकिन कलयुग शुरू होने के साथ ही भगवान विष्णु बद्रीनाथ बसने लगे.

भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आठवीं से बारहवीं सदी के बीच हुई थी. इसके अनुसार आदि बद्री मंदिर सोलह मंदिरों का समूह था लेकिन वर्तमान में केवल 14 ही मौजूद हैं.

मंदिर समूह में मुख्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. विष्णु के मंदिर के अतिरिक्त यहां श्री लक्ष्मीनारायण, अन्नपूर्णा, सूर्य सत्यनारायण, गणेश, पारब्रह्म, शिव, गरुड़, दुर्गा, जानकी आदि के मंदिर हैं.

आदि बद्री चमोली जिले में स्थित है. इस मंदिर का स्थापत्य गुप्त कालीन मंदिर शैली से मेल खाता है. इस मंदिर में थापली गांव के लोग पुजारी का कार्य पिछली सात आठ पीढ़ियों से कर रहे हैं. थापली गांव आदि बद्री मंदिर के ठीक सामने स्थित है.

मंदिर के कपाट दिसम्बर के महिने बंद होते हैं और मकर संक्रांति के दिन खुलते हैं. मंदिर में प्रवेश का समय सुबह छः बजे से शाम 7 बजे तक है.
आदि बद्री में स्थित विष्णु की मूर्ति आष्टधातु से बनी है. इस मंदिर के विषय में एक किवदंती यह भी है कि स्वर्गरोहिणी यात्रा के दौरान इसकी स्थापना पांडवों द्वारा की गयी थी. यह भी कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने इसी स्थान पर महाभारत की रचना की थी.

52 गढ़ों में एक गढ़ चांदपुरगढ़ी की आदि बद्री से दूरी महज़ तीन किमी की है. आदि बद्री के सबसे नजदीक स्थित तीर्थ स्थल कर्णप्रयाग है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से आदि बद्री की दूरी 189 किमी है जबकि देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट से यह लगभग 207 किमी की दूरी पर है.

आदि बद्री कुमाऊं के रास्ते भी जाया जा सकता है इसके लिये नैनीताल या रामनगर से रानीखेत और फिर चौखुटिया के रास्ते कर्णप्रयाग होते हुए जाया जा सकता है.

आदि बद्री की तस्वीरें देखिये –

मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले नरेन्द्र सिंह परिहार वर्तमान में जी. बी. पन्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट में रिसर्चर हैं.

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

12 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago