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जब मुझे दोबारा ॐ के दर्शन हुए

अदभुत नाभीढांग

धारचुला की ऊँची पहाड़ियों में बसा एक छोटा सा स्थान जो ॐ पर्वत की वजह से जाना जाना है.

नाभीढांग समुन्द्र तल से लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक खूबसूरत स्थान है. कैलाश मानसरोवर से ठीक पहले का ये पड़ाव ॐ पर्वत के कारण प्रसिद्ध है. नाभीढांग से ठीक सामने नेपाल की तरफ ॐ पर्वत देखा जा सकता है जो कि ज्यादातर बादलों से ही ढका रहता है और अगर अच्छी किस्मत हो तो ये ज़रूर अपने दर्शन दे देता है.

मैंने साल 2015 और 2019 में इस जगह की यात्रा की और दोनों बार ही किस्मत ने मेरा साथ दिया और दोनों बार ही मैं दर्शन पाया.

2015 में जब पहली बार जा रहा था तो सुना था कि हफ्ते-दस दिन रुकने पर भी लोगो को कई बार दर्शन नही होते, और कई बार तो महीने भर रुकने पर भी नही. डर था कि इतना लंबा चलने के बाद दर्शन नही हुए तो क्या होगा. शाम पहुँचने पर ॐ बादलों से ढका हुआ था, जिसे देखकर स्वाभाविक ही मन खराब होना था. सुबह जल्दी उठकर ॐ देखने की प्रबल इच्छा थी इसलिए इंतज़ार में रात भर नींद नही आयी और सुबह 4 बजे उठकर टेंट से बाहर कैमरा लेकर ॐ पर्वत के ठीक सामने बैठ गये. मैं और मयंक दोनों ही एक साथ ठंड में बैठकर बस सामने ही देखे जा रहे थे. ठीक 4:45 में बादल अचानक हटे और लाल ॐ पर्वत ने अपने शानदार दर्शन दिये. कमाल का अनुभव था वो, मैं भूल नही पाऊंगा वो कभी भी. 6 जुलाई सोमवार का दिन था वो और सावन का पहला सोमवार भी. हम बिना बात किये और मौका गवाए बिना ढेरो तस्वीरें खींचते चले गए. और केवल 15 मिनट तक ही खुलने के बाद ॐ फिर से ढक गया. हम दोनों बहुत खुश थे कि शानदार दर्शन कर पाए. 5 बजे के आसपास बाकी लोग जो ॐ देखने आए थे वो देख नही पाये और हमारे वापस जाने तक भी वो लोग नज़रे थामे वही बैठे थे. शायद ही बाद में वो लोग देख पाए हो. ‌

4 साल बाद दोबारा 2019 में जब फिर सितंबर में जाने का मौका मिला तो भी ॐ बादलों से ढका हुआ था और हमारे आसपास भी घना कोहरा था. इस बार हम चार दोस्त साथ थे और चारो ही फोटोग्राफर्स थे. हालांकि मैं पहले भी देख चुका था तो मेरे अंदर शायद वो उत्सुकता न हो पर बाकी दोस्तो में ॐ देखने की प्रबल लालसा मैं आसानी से देख पा रहा था. खैर रात भर बारिश हो रही थी तो ये उम्मीद बनी हुई थी कि सुबह ज़रूर साफ होगा और सबको दर्शन होंगे. पर सुबह ऐसा हुआ नही. बारिश रुक जाने के बाद भी चारो तरफ कोहरा लगा हुआ था और इसके हटने की उम्मीद दूर दूर तक नज़र नही आ रही थी. पर फिर भी हमने सुबह 6 बजे से सामने बैठकर बादल हटने इंतज़ार किया उसी जगह डटे रहे. बहुत सारे लोग जो वहाँ आये थे वो भी आसपास आकर बैठ गए और इंतज़ार करने लगे. कुछ लोगो ने तो वहां बैठकर भजन और शिव आराधना करना भी शुरू कर दिया. इस बीच काफी लोग निराश होकर वापस भी चले गये और कुछ डटे रहे. जैसा कि सब्र का फल मीठा होता ही है, 5 घंटे के लंबे इंतजार के बाद ठीक 11 बजे बादल हटे और ॐ नज़र आया. ‌

जो लोग भी बाकी थे वो खुशी से ॐ नमः शिवाय का जाप करने लगे और हम चारो ॐ को कैमरा में कैद करने में व्यस्त हो गए. ‌

ये भी इत्तेफाक से सोमवार का ही दिन था जब मुझे दोबारा ॐ के दर्शन हुए.

-अमित साह

फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं. (Photo Essay on Nainital)

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