Featured

बागेश्वर के बाघनाथ मंदिर की कथा

पवित्र सरयू नदी के धरती पर अवतरण से सीधी जुड़ी हुई है बागेश्वर के विख्यात बाघनाथ मंदिर की कथा.

मिथक है कि जब ऋषि वशिष्ठ सरयू गंगा को देवलोक से लेकर आ रहे थे, उसी समय मुनि मार्कंडेय उस स्थान पर ब्रह्मकपाली नामक शिला पर तपस्यारत थे जहाँ वर्तमान बागेश्वर का बाघनाथ मंदिर अवस्थित है.

चतुर्मुखी शिवलिंग

मुनि मार्कंडेय उस स्थान पर बैठे हुए थे जो ऋषि वशिष्ठ के पीछे-पीछे आ रही सरयू नदी का मार्ग होना था. नदी के लिए दूसरा मार्ग नहीं बन सकता था क्योंकि घाटी में उस स्थान के दोनों तरफ भीलेश्वर और नीलेश्वर नाम के पहाड़ थे. सरयू ने उन्हीं के बीच से आना था.

मार्ग में मुनि मार्कंडेय को देखकर दुविधा में पड़े ऋषि वशिष्ठ ने भगवान शिव की आराधना की.

भगवान गणेश की प्रतिमा

जब भगवान शिव प्रकट हुए तो वशिष्ठ ने उनसे कहा – “भगवान, मुझे सरयू गंगा को आगे ले जाने में समस्या आ रही है क्योंकि उसके रास्ते में मुनि मार्कंडेय तपस्या कर रहे हैं. उनकी तपस्या में विघ्न डालकर मैं उनके क्रोध का भाजन नहीं बनना चाहता. यदि उन्हें उठाता हूँ तो वे क्रोधित होकर न जाने मुझे क्या श्राप दे दें और नहीं उठाता हूँ तो वे नदी के बहाव में बह जाएंगे. कृपया आप मेरी सहायता करें!”

मंदिर की अनेक मूर्तियों पर बौद्ध वास्तुशिल्प के दर्शन होते हैं

भगवान शिव ने वशिष्ठ की सहायता करने का निर्णय लिया और माता पार्वती से कहा कि वे गाय का रूप धारण कर लें. ऐसा होने के उपरान्त उन्होंने पार्वती से अनुरोध किया कि वे उस स्थान पर घास चरने चली जाएं जहाँ पर मुनि मार्कंडेय तपस्यारत थे.

पार्वती ने वैसा ही किया. इसके पश्चात भगवान शिव ने बाघ का रूप धारण किया और वे भी उसी स्थान पर पहुँच गए. गाय ने बाघ को देखा तो जोर-जोर से रम्भाना आरम्भ कर दिया.

गाय का क्रंदन सुनकर मार्कंडेय मुनि ने आपनी आँखें खोलीं ताकि गाय पर पड़ी विपत्ति को देख सकें.

आँखें खोलने पर मुनिवर ने देखा की एक बाघ गाय पर झपटने ही वाला है. वे गाय को बचाने के लिए जैसे ही उठे गाय-रूपी पार्वती भागती हुई उस स्थान पर पहुँची जहाँ वर्तमान में बाघनाथ मंदिर के भीतर शक्तिपीठ स्थापित है.

बाघनाथ मंदिर, बागेश्वर

पीछे-पीछे बाघ और मुनि मार्कंडेय भी उसी जगह पहुंचे. उसी पल शिव और पार्वती ने अपने मूल रूप ग्रहण कर लिए और मार्कंडेय को दर्शन दिए. भावाभिभूत होकर मार्कंडेय ने शिवजी से कहा – “जिस तरह अपने मुझे दर्शन दिए उसी तरह आपके भक्तजन आपके दर्शनों का लाभ उठा सकें इसके लिये आप यहाँ भी रहिये.”

मार्कंडेय के ऐसा अनुरोध करते ही उस स्थान पर एक लिंग प्रकट हुआ. सरयू नदी को आगे जाने का रास्ता मिला और चूँकि भगवान शिव इस स्थान पर बाघ के रूप में प्रकट हुए थे कालान्तर में यहाँ बने मंदिर को बाघनाथ का मंदिर कहा गया.

सात अश्वों के रथ पर सवार सूर्यदेव की दुर्लभ प्रतिमा

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी से पंद्रहवीं शताब्दी तक लगातार होता रहा. चंद शासक लक्ष्मीचंद ने वर्ष 1450 में यहाँ व्याघ्रनाथ का मंदिर स्थापित किया था. इस मंदिर परिसर में सातवीं से सोलहवीं शताब्दी तक निर्मित अनेक महत्वपूर्ण व सुन्दर मूर्तियाँ विराजमान हैं जिनमें प्रमुख हैं उमा, पार्वती, महेश्वर, गणेश, विष्णु, शाश्वतावतार और  सात अश्वों पर सवार भगवान सूर्य. सूर्य भगवान की एक बड़ी मूर्ति दर्शनीय है जिसमें उन्हें जूते पहने दिखाया गया है. भगवान शिव के एकमुखी, त्रिमुखी और चतुर्मुखी शिवलिंग भी यहाँ देखने को मिलते हैं. मंदिर की अनेक मूर्तियों में बौद्ध वास्तुशिल्प के प्रभाव देखे जा सकते हैं.

माँ पार्वती की शक्ति पीठ

स्थानीय मान्यता है कि बाघनाथ तीर्थ का महात्म्य चार धामों के तुल्य होता है. इस लिए मंदिर परिसर में चार धामों और गंगा-यमुना नदियों की सांकेतिक उपस्थिति भी स्थापित है.

-अशोक पाण्डे
(बाघनाथ मंदिर के एक पुजारी पंडित भास्कर लोहनी से 4 नवम्बर 2018 को बागेश्वर में हुई बातचीत के आधार पर)

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

5 hours ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

3 days ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

3 days ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

6 days ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

1 week ago

उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने

-हरीश जोशी (नई लोक सभा गठन हेतु गतिमान देशव्यापी सामान्य निर्वाचन के प्रथम चरण में…

1 week ago