अल्मोड़ा में रहने वाले लक्ष्य सेन दुनिया के सबसे तेजी से उभरते बैडमिन्टन सितारों में गिने जाते हैं. उन्होंने नीदरलैंड के अल्मेर में खेली जा रही डच ओपन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीत ली है. फाइनल में उन्होंने जापान के युसुके ओनोदोरा को 15-21 21-14 21-15 से हराकर अपने जीवन का पहला बी डब्लू एफ खिताब अपने नाम किया. Lakshya Sen of Almora wins Dutch Open
अठारह साल के लक्ष्य ने पहला गेम हारने के बाद अपने जापानी प्रतिद्वंद्वी को कुल 63 मिनट तक चले मैच में परास्त किया. Lakshya Sen of Almora wins Dutch Open
बताना आवश्यक है कि डच ओपन बी डब्लू एफ वर्ल्ड टूर सुपर 100 टूर्नामेंट है.
विश्व में फिलहाल 72वें स्थान पर काबिज लक्ष्य ने पिछले महीने बेल्जियन ओपन जीता था. उसके पहले वे पोलिश ओपन के फाइनल में पहुंचे थे. इसके अलावा उन्होंने एशियन जूनियर चैम्पियनशिप भी जीती थी.
इस युवा बैडमिंटन खिलाड़ी ने इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियाई जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रचा था. लक्ष्य की वह जीत इस मायने में खास थी कि उन्होंने 53 साल बाद भारत को इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक दिलाया. बता दें कि इससे पहले 1965 में भारत के गौतम ठक्कर ने स्वर्ण पदक जीतने में कामयाबी हासिल की थी.
अल्मोड़ा में उनके परिवार ने अकेले अपने कन्धों पर पिछले कोई पांच दशकों से बैडमिन्टन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का भार उठाया हुआ है.
उनके पिता डी. के. सेन तथा उनके दादा चन्द्रलाल सेन खुद मशहूर खिलाड़ी रहे हैं. लक्ष्य के बड़े भाई चिराग पहले से ही दुनिया भर में अपने खेल से झंडे गाड़ते आ रहे हैं.
काफल ट्री में लक्ष्य के परिवार और उसकी उपलब्धियों को लेकर एकाधिक बार आलेख छपे जा चुके हैं. इन आलेखों को पढने के लिए इन लिंक्स पर जाया जा सकता है:
यूथ ओलंपिक गेम्स: अर्जेंटीना में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे उत्तराखंड के लक्ष्य सेन
चन्द्रलाल सेन जिनके पोते आज विश्व चैम्पियन हैं
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