Featured

लखु उडियार के भित्तिचित्र

लखु उडियार उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर से 13 किमी. दूर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग में स्थित है. लखुउडियार का हिन्दी में अर्थ हैं ‘लाखों गुफायें’ अर्थात इस जगह के पास कई अन्य गुफायें भी हैं. लखुउडियार इसमें बने भित्तिचित्रों के लिये काफी लोकप्रिय है. जिस पहाड़ी में ये शैल चित्र बने है उसके नीचे सुयाल नदी बहती है. लखु उडियार में कई भित्तिचित्र बने हैं जिनमें से कुछ नृतकों के हैं तो कुछ पानी में मछली पकड़ रहे शिकारियों के हैं. इसमें कई स्थानों में मानव आकृतियों के साथ-साथ जानवरों की आकृतियाँ भी उकेरी गयी हैं.

ये प्राचीन भित्तिचित्र उत्तराखंड के इतिहास का एक अहम अध्याय हैं पर आज इन भित्तिचित्रों की अवस्था बेहद दयनीय हो गयी है. सही रख-रखाव न मिलने के कारण ये चित्र गायब होते जा रहे हैं और इसके अंदर जाना बेहद आसान है इसलिये लोग यहाँ जाते हैं और दीवारों में चित्रों को हानि भी पहुँचा रहे हैं. यदि समय रहते इन चित्रों का उचित रख-रखाव नहीं किया गया तो आने वाले समय में ये भित्तिचित्र समाप्त हो जायेंगे. लखु उडियार की कुछ हालिया तस्वीरें.

 

विनीता यशस्वी

विनीता यशस्वी नैनीताल  में रहती हैं.  यात्रा और  फोटोग्राफी की शौकीन विनीता यशस्वी पिछले एक दशक से नैनीताल समाचार से जुड़ी हैं.

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago