25 अक्तूबर, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 112.67 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल संग्रह हुआ. यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 70 प्रतिशत है. 18 अक्टू1बर, 2018 को समाप्ता सप्ताह में जल संग्रह 71 प्रतिशत के स्तर पर था. 25 अक्टू्बर, 2018 को समाप्त सप्ताह में यह संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 101 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 100 प्रतिशत है.
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है. इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं.
हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 15.96 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 89 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 76 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 77 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है.
झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.02 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 80 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 75 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है.
गुजरात तथा महाराष्ट्र क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 17.21 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 55 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 71 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 67 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 31.50 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 63 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 71 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है.
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं. इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 33.98 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 66 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 66 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 66 प्रतिशत था. इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण के बराबर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण के भी बराबर है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थाणन, उत्तर प्रदेश, उत्तलराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं. पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बराबर है उनमें ओडिशा शामिल है. वहीं, पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कम है उनमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्रड, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…