Featured

ईजू की नराई लागी, भाई की काँकुरी

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree

लोक-साहित्य स्वयं में बेजोड़ होता है. कुमाऊनी लोकसाहित्य में चार चांद लगाने का काम करता है उसका विशाल शब्दकोश. मसलन किसी को याद आने के लिये दो शब्द हैं नराई और काँकुरी. नराई का उपयोग तो आज भी कहीं देखने को मिलता काँकुरी का उपयोग लगगभ नहीं देखने को मिलता है.
(Kumaoni Nyoli Folk Uttarakhand)

एक न्योली है जिसमें किसी गांव में विवाहित लड़की अपने ससुराल में अपनी ईजा और भाई को याद कर रही है. अपने भाई और ईजा को याद करते हुए वह ईजा की याद के लिये नराई शब्द का उपयोग करती है और भाई की ‘काँकुरी’ शब्द का. दोनों ही शब्द का उपयोग किसी को याद करने के लिये किया जाता है लेकिन अलग-अलग भाव में. ‘नराई’ का अर्थ प्यार और उदेख भरी याद से है और ‘काँकुरी’ का अर्थ दया भरी याद से है.
(Kumaoni Nyoli Folk Uttarakhand)

‘काँकुरी’ और ‘नराई’ दोनों शब्दों का एक साथ एक न्योली में इस्तेमाल देखिये –

बाटा गाड़ा चिंणा धाना, चिणां झाँकुरी
ईजू की नराई लागी, भाई की काँकुरी

इस न्योली का भाव अनुवाद है गाड़ (खेत) में चारों और धान के पौधे उगे हुए हैं जिनके बीच में रास्ता है और खेत की दीवारों से घास की झाड़ियां लटक रही है. मुझे ईजा की नराई लग रही है और भाई की ‘काँकुरी’. यहां ईजा की नराई लग रही है और भाई की ‘काँकुरी’ का अर्थ है मुझे दोनों की याद आ रही है लेकिन याद आने से भाव अलग-अलग है.

कुमाऊनी शब्दकोश का यही जादू है यहां शब्द के साथ आता है भाव.
(Kumaoni Nyoli Folk Uttarakhand)

काफल ट्री फाउंडेशन

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

AddThis Website Tools
Kafal Tree

Recent Posts

देश के लिये पदक लाने वाली रेखा मेहता की प्रेरणादायी कहानी

उधम सिंह नगर के तिलपुरी गांव की 32 साल की पैरा-एथलीट रेखा मेहता का सपना…

7 hours ago

चंद राजाओं का शासन : कुमाऊँ की अनोखी व्यवस्था

चंद राजाओं के समय कुमाऊँ का शासन बहुत व्यवस्थित माना जाता है. हर गाँव में…

11 hours ago

उत्तराखंड में भूकम्प का साया, म्यांमार ने दिखाया आईना

हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने 2,000 से ज्यादा…

1 day ago

हरियाली के पर्याय चाय बागान

चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और…

3 days ago

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago