Featured

देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी

देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी का मंदिर पिथौरागढ़ जनपद में उसके मुख्यालय से 55 किलोमीटर तथा डीडीहाट से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धार्मिक एवं मध्यकालीन व्यवसायिक कस्बेथल के निकट पांखू नामक ग्राम से 2 किलोमीटर पैदल की दूरी पर स्थित है. इसे न्याय की देवी माना जाता है. इस क्षेत्र के लोगों की इसकी न्यायिक व्यवस्था के संबंध में वही मान्यता है जो कि चितई एवं घोड़ाखाल के गोलू देवता के प्रति पाई जाती है. अन्याय तथा अत्याचार से पीड़ित लोग न्याय की प्राप्ति के लिए न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों को स्टांप पेपर पर लिखकर यहां पर उन्हें जमा करके देवी से न्याय की गुहार लगाते हैं. लोगों का कहना है कि यहां पांच पुश्त पहले दिए अन्यायपूर्ण निर्णयों की भी सुनवाई होती है और न्याय मिलता है.

संतान हीन महिलाएं यहां पर चैत्र और अश्विन के नवरात्रों के अवसर पर प्रज्ज्वलित दीप को हाथों में लेकर रात्रि भर जागरण करके संतानार्थ मनौती करती हैं. मान्यता है कि इससे उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है देवी की मूर्ति को प्रच्छद पट से परिवेष्टित करके रखा गया है. लोग इसकी अनावृत मूर्ति के दर्शन नहीं कर सकते, क्योंकि कहा जाता है कि मूर्ति में देवी के गुप्तांग का स्पष्ट रूप से उत्कीर्ण किया गया है.

इसकी स्थापना के विषय में माना जाता है कि यहां पर इसकी स्थापना कोटगाड़ा  जाति के व्यक्ति को स्वप्न में देवी के द्वारा व्यक्त की गई इच्छा के परिणामस्वरूप की गई थी. यहां पर देवी के मंदिर के अतिरिक्त इसी से संसक्त दोनों भाई माने जाने वाले सुरमल एवं छुरमल देवताओं का भी मंदिर है तथा 200 मीटर की दूरी पर पांखू गोलू तथा भैरव का भी मंदिर है.

यहां पर चैत्र तथा आश्विन की नवरात्रों की अष्टमी तिथि को लोक उत्सव का आयोजन होता है. यहां पर बलि पूजा का भी प्रावधान है जिसका आयोजन मुख्य मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर स्थित पांखू ग्वल तथा भैरव के मंदिर में किया   जाता है. इसके अतिरिक्त भाद्रपद में ऋषि पंचमी को एवं कार्तिक पूर्णिमा तथा वैशाखी को भी श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना की जाती है.

(उत्तराखण्ड ज्ञानकोष – प्रो. डी. डी. शर्मा के आधार पर)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

देश के लिये पदक लाने वाली रेखा मेहता की प्रेरणादायी कहानी

उधम सिंह नगर के तिलपुरी गांव की 32 साल की पैरा-एथलीट रेखा मेहता का सपना…

9 hours ago

चंद राजाओं का शासन : कुमाऊँ की अनोखी व्यवस्था

चंद राजाओं के समय कुमाऊँ का शासन बहुत व्यवस्थित माना जाता है. हर गाँव में…

12 hours ago

उत्तराखंड में भूकम्प का साया, म्यांमार ने दिखाया आईना

हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने 2,000 से ज्यादा…

1 day ago

हरियाली के पर्याय चाय बागान

चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और…

3 days ago

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago