समाज

सुनिए शेरदा अनपढ़ की संगीतबद्ध कविता ‘को छै तू’

इस तरह आने वाली पीढ़ी विरासत को संभालते हुए सम्मान देती है, आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है. शेरदा अनपढ़ की लोकप्रिय कविताओं में से एक है ‘को छै तू.’ करन जोशी उत्तराखण्ड के लोकगीतों को नए-पुराने वाद्ययंत्रों के साथ प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं. इस दिवाली उनका यू ट्यूब चैनल केदारनाद शेरदा की चर्चित कविता ‘को छै तू’ को लेकर श्रोताओं के सामने है. (Sherda Anpadh Classic Poem)

भुर भुर उज्याई जसी जाणि रत्तै ब्याण, भिकुवे सिकड़ी कसि ओढ़ी जै निसाण, खित्त कनैं हंसण और झऊ कनैं चाण, क्वाठन कुरकाती लगूं मुख क बुलाण, मिसिर है मिठि लागीं कार्तिकी मौ छै तू पूषेकि पालङ जसी ओ खड़्यूणी को छै तू?
(Sherda Anpadh Classic Poem)

शेरदा अनपढ़ के हस्तलेख में ‘को छै तू’
दै जसी गोरी उज्येइ
बिगोत जसि चिटि,
हिसाऊ किल्मोड़ी कसि
मणी खटी मिठी,
आँखे की तारी कसि
आँख में लै रीटी,
ऊ देई फुलदेई है जैं
जो देई तू हिटी,
हाथ पातै हरै जैंछे 
के रुड़ीक द्यो छै तू

सुरबुरी बयाव जसी 
ओ च्यापिणी को छै तू?
जांलै छै तू देखि छै
भांग फूल पात में,
और नौंणी जै बिलै रै छै
म्यार दिन रात में,
को फूल अंग्वाव हालूं
रंग जै सबु में छैं,
न तू क्वे न मैं क्वे
मैं तू में तू मैं में छै,
तारूं जै अन्वार हंसें
धार पर जो छै तू

ब्योली जै डोली भितेर
ओ रूपसी को छै तू?
उताके चौमास देखि छै
तू उतुके रयूड़,
स्यून की सांगई देखि छै
तू उतुके स्यून,
कभैं हर्याव चढ़ी
और कभैं पुजी च्यूड़,
गदुवे झाल भितेर तू
काकडी फुल्यूड़,
भ्यार बै अनारै दाणि
और भितेर पे स्यो छै तू

नौ रत्ती पौं जाणि
ओ दाबणी को छै तू?
ब्योज में क्वाथ में रेछै 
और स्यूणा में सिराण,
म्येरै दगे भल लागैं
मन में दिशाण,
शरीर मातण में
त्वी छै तराण,
जाणि को जुग बटि
जुग-जुगे पछ्याण,
साँसों में कुत्कनै है
सामणी जै क्ये छै तू

मायादार माया जसी
ओ हंसिणी को छै तू?
(Sherda Anpadh Classic Poem)

शेरदा अपनी जगह पर बने रहेंगे – अद्वितीय

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

हरियाली के पर्याय चाय बागान

चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और…

20 hours ago

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

1 month ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

1 month ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

1 month ago