मध्य प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा और अन्तराष्ट्रीय तिथि रेखा एक दूसरे को जिस स्थान पर काटती हैं वहीं एक छोटा सा द्वीप स्थित है किरिबाती. किरिबाती 33 एटॉल और रीफ द्वीपों से मिलकर बना है. इन द्वीपों में 22 द्वीप में मानव रह रहे हैं. किरिबाती की कुल आबादी एक लाख तीन हजार पांच सौ है. इस देश की 90 % जनसंख्या गिल्बर्ट द्वीप में ही रहती है.
किरिबाती लम्बे समय तक इंग्लैंड का उपनिवेश था जो 1979 में आजाद हुआ. 1999 तक इसके दो द्वीप सागर के बढ़ते जल के कारण पूरी तरह से समुद्र में डूब चुके हैं. लगातार बड़े औद्यौगिकीकरण के कारण पूरे किरिबाती द्वीप के पूरी तरह डूबने का खतरा बना हुआ है. यूनाइटेड नेशन के अनुसार किरिबाती के अगले 30 से 40 वर्षों में डूबने की आशंका व्यक्त की गई है. 1957 में ब्रिटेन ने किरिबाती में हाइड्रोजन बम की एक सीरिज का टेस्ट भी किया था.
लगतार बढ़ते भू-मंडलीय ताप के कारण समुद्र का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में किरिबाती जैसे छोटे द्वीप देशों के सम्मुख अपने देश की जनता को विस्थापित करने का विकल्प ही बचता है. किरिबाती की सरकार अपने देश के लोगों को आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विस्थापन हेतु मदद कर रही है. इस कदम में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सरकार किरिबाती सरकार का सहयोग भी कर रही है.
भारत और किरिबाती के राजनैतिक संबंध वर्ष 1985 से हैं. भारत सरकार ने वैश्विक मंच पर हमेशा किरिबाती का सहयोग किया है वहीँ अन्तराष्ट्रीय मंच पर किरिबाती ने भी हमेशा भारत को समर्थन दिया है.
क्रिसमस द्वीप के नाम से मशहूर किरिबाती द्वीप को विश्व मानचित्र में खोजा जाता है तो इसके भीतर पेरिस. इंग्लैंड, पोलेंड जैसे नाम देखने को मिलते हैं. दरसल किरिबाती ने इन देशों या शहर से आये व्यक्तियों के सम्मान में अपने द्वीपों के नाम रखे हैं. एक देश जिसने अन्य देशों के सम्मान के नाम पर अपने द्वीपों का नाम रखा है आज वह उन्हीँ देशों की गलतियों का हर्जाना भरा रहा है.
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