हमने जिस किनारे पर हमने अपना तंबू लगाया था उसकी गर्जनशील धारा ने हमारी रात को बेचैन कर दिया. हमने सुबह आठ बजे नाश्ता किया और केदारनाथ के लिए चल पड़े. हमने अपना तंबू और सारा सामान भीम उड्यार में छोड़ दिया क्योंकि अत्यधिक ठंड और बर्फ जमा होने के कारण कोई भी तीर्थयात्री ऊपर केदारनाथ में रातभर रुकने वाला नहीं था. हमें तीन या चार मील की भारी बर्फ पर चढ़ना और चलना था. जल्द ही हम वृक्ष रेखा की सीमा तक पहुंच गए, जहां अचानक से सभी दृश्य बदल जाते हैं. खूबसूरत जंगल से निकलकर आप बर्फ और हिम से ढके धूमिल चट्टानों के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं.
(Kedarnath Old Sketch 1852)
लगभग बारह बजे हम तीन तरफ से विशाल पहाड़ों से घिरी एक खुली घाटी में पहुंचे. इसी घाटी में केदार मंदिर खड़ा है. मंदिर तक पहुंचने से आधा मील पहले हमें केदार गंगा को पार करना था. बर्फ से निकलने वाली केदारगंगा बहुत ही कम दूरी तक दिखाई देती है और फिर बर्फ के नीचे गायब हो जाती है. बर्फ की तरह ठंडी इस नदी में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री स्नान करते हैं. नदी और मंदिर के बीच में थोड़ा आगे एक छोटा सा घर है जो गर्म पानी के झरने पर बना है. सभी तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन करने की तैयारी के लिए स्नान करते हैं. शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर में एक विशाल इमारत है जो पत्थर की नक्काशी से बना है. यह वर्तमान इमारत हाल ही में काजी अमर सिंह और उनके परिवार के दान द्वारा पूरी हुई है. मंदिर समुद्र तट से लगभग 12,000 फीट ऊपर है और इसके ऊपर का बर्फीला पहाड़ 12,900 फीट ऊपर है इसलिए केदारनाथ चोटी समुद्र तल से कुल 24,900 फीट ऊपर है.
स्थानीय पंडे के अनुसार सोने और संगमरमर की बनी इन चोटियों में शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हैं. इस कथा के बारे में जब उनसे बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पापियों को ये पहाड़ बर्फ और हिम के अलावा कुछ नहीं दिखते लेकिन वास्तव में वह सोने के हैं. यहां का दृश्य विस्मयकारी है, जहां तक नजर जाती है बर्फ, हिम और विशाल ग्लेशियरों के अलावा कुछ भी नहीं दिखता है.
(Kedarnath Old Sketch 1852)
स्केच में आप देख सकते हैं मंदिर के दोनों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियाँ दिखाई देती हैं ये घरों की पंक्तियों की छतें हैं जो अभी भी दस से बारह फीट नीचे दबी हुई हैं. सर्दियों में मंदिर भी इसी तरह भूमिगत रहता है. मैंने केदार तक जाने वाले कुछ तीर्थयात्रियों का वर्णन करने का प्रयास किया है. उनमें से एक अमीर हिंदू है, जिसे चार आदमी एक डोली में ले जाते हैं. दूसरे को एक पहाड़ी आदमी की पीठ पर डोक्के में रखा जाता है. पुल के पास एक अंधा आदमी है जिसे एक अन्य व्यक्ति ले जा रहा है. सबसे अधिक समर्पित तीर्थयात्री बर्फ पर नंगे पैर चलते हैं – हमारे पंडित ने भी ऐसा ही किया. यहां आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या वर्ष में पंद्रह से बीस हजार तक होती है. कुछ लोग प्रतिवर्ष स्वयं को वहां या तो किसी विशेष चट्टान के शिखर से नीचे गिराकर या बर्फ में डूब समर्पित करते हैं.
यहां अधिकतर तीर्थयात्री बहुत दूर-दराज के स्थानों से आते हैं, राजपूताना, ग्वालियर, पंजाब आदि . हमारी मुलाकात एक आदमी से हुई जो कच्छ से आया था. उन्होंने मध्य भारत से होते हुए गंगोत्री तक यात्रा की. गंगोत्री से फिर नीचे श्रीनगर, वहां से केदारनाथ. उसने कहा कि उसका इरादा बद्रीनाथ जाने का है और फिर नीचे इलाहाबाद, बनारस, गया जाकर वापस लौटने का इरादा है. उसे अपनी यात्रा में सचमुच सात महीने से अधिक का समय लग गया था. वह एक बूढ़ा आदमी था और उसके घर पर सात बच्चे थे.
इस मंदिर के रावल या मुख्य पुजारी निश्चित रूप से मालाबार तट के मूल निवासी होते हैं. वह केदारनाथ में नहीं बल्कि उस स्थान से कुछ नीचे ऊखीनाथ में रहता है. पचास से अधिक गांव मंदिर के हैं, जिनका राजस्व रावल लेते हैं. बर्फ में चलने के कारण हमारे पैर बहुत गीले हो गए थे, इसलिए हम केदारनाथ में अधिक समय तक नहीं रुके. लगभग तीन बजे हम फिर से सुरक्षित भीम उडियार पहुंच गए लेकिन थकान से काफी परेशान थे.
(Kedarnath Old Sketch 1852)
मिशनरी मैगजीन एंड क्रोनिकल 1852 में छपे लेख का हिन्दी अनुवाद
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…