Categories: वीडियो

हल्द्वानी में कबूतरी देवी का गायन

कुमाऊनी लोकगायिका कबूतरी देवी ( kabutari devi ) ने सत्तर के दशक में अपने लोकगीतों से अपने लिए अलग जगह बनाई. साल 2016 में उत्तराखंडी लोक संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कबूतरी देवी को ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से नवाजा गया. इससे पहले भी ढेरों सम्मान पा चुकी बीते ज़माने की यह लोकप्रिय गायिका अंतिम दिनों में तकरीबन गुमनाम जीवन गुजारने पर विवश हुईं.

एक ज़माना था जब वे रेडियो की दुनिया की स्वर सम्राज्ञी थी. 70 और 80 के दशक में आकाशवाणी के नजीबाबाद, लखनऊ, रामपुर और चर्चगेट मुंबई केन्द्रों से उन्होंने ढेरों गीत गाये. वे उत्तराखण्ड और संभवतः उत्तर भारत की पहली गायिका थीं जिन्होंने आकाशवाणी के लिए गाया. उनके गाये गीत “आज पनी ज्यों-ज्यों, भोल पनी ज्यों-ज्यों पोरखिन न्हें जोंला..”, “पहाड़ों को ठंडो पाणी के भली मीठी बाणी..” आज भी कुमाउनी लोक संगीत की आत्मा माने जाते हैं.

उनकी गुमनामी और अभाव की ज़िन्दगी जातीय और लैंगिक कारणों से एक नैसर्गिक प्रतिभा के असमय नष्ट हो जाने की दुर्भाग्यपूर्ण दास्तान है. कबूतरी देवी उत्तराखण्ड की शिल्पकार जाति (अनुसूचित जाति) की उपजाति गन्धर्व/मिरासी परिवार में जन्मी थीं. यह जाति पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोकगीत गाकर ही जीवन यापन किया करती थी. उनके पास कुमाउनी लोकगीतों की वह दुर्लभ विरासत थी जो उन्होंने पुश्तैनी रूप से पायी थी.

गायन की औपचारिक शिक्षा न होने के बावजूद उनके गीतों में देशी व पहाड़ी रागों का अद्भुत संसार दिखाई पढता है. संरक्षण के अभाव में बहुत कुछ है जो उनके साथ ही नष्ट हो गया. पति की मृत्यु के बाद वे पिथौरागढ़ में अपनी बेटी के घर पर ही ज्यादातर रहीं.

पहाड़ की कोयल कबूतरी देवी का जाना

लोक द्वारा विस्मृत लोक की गायिका कबूतरी देवी

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

AddThis Website Tools
Kafal Tree

Recent Posts

पहाड़ से निकलकर बास्केटबॉल में देश का नाम रोशन करने कैप्टन हरि दत्त कापड़ी का निधन

हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…

1 week ago

डी एस बी के अतीत में ‘मैं’

तेरा इश्क मैं  कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…

2 weeks ago

शराब की बहस ने कौसानी को दो ध्रुवों में तब्दील किया

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…

2 weeks ago

अब मानव निर्मित आपदाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं : प्रोफ़ेसर शेखर पाठक

मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…

2 weeks ago

शराब से मोहब्बत, शराबी से घृणा?

इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…

2 weeks ago

वीर गढ़ू सुम्याल और सती सरू कुमैण की गाथा

कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…

2 weeks ago