बरसात के मौसम में पहाड़ी इलाकों में जोंकें देखी जाती हैं. स्थानीय लोग तो इसके अभ्यस्त हो जाते हैं लेकिन मैदानी इलाकों से छुट्टियाँ बिताने पहाड़ आने वाले अप्रवासी और पर्यटक जोंकों से खौफ़जदा रहते हैं. नमी वाली जगहों में बहुतायत से पाई जाने वाली जोंकें कब आपके शरीर में चिपककर खून चूसने लगती हैं इसका पता नहीं चलता. जोंक के इस सफाई के साथ खून चूसने से खौफ़जदा लोग इसे शरीर से दूर रखने के लिए तमाम टोटके भी करते हैं. जुराबों में तम्बाकू भरने से लेकर नमक के पानी में पैर भिगोने तक. लेकिन बरसात में जोंक आपका पीछा नहीं छोडती.
जोंक कब शरीर से चिपककर खून चूसती चली जाती है इसकी भनक तक न लगने के पीछे जिम्मेदार होता है इसकी लार में पाया जाना वाला एन्जाइम हीरूडीन. यही हीरूडीन खून को पतला भी करता है. हीरूडीन एन्जाइम ह्रदय रोगों की दावा में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह रक्त का थक्का नहीं जमने देता.
पतली सी जोंक जब खून चूसकर थुलथुल हो जाती है तब यह अपना ही भार सहन नहीं कर पाती और आपके शरीर से गिर जाते है. जोंक के गिरने के बाद ही शरीर से खून बहना शुरू होता है और जोंक का पता चलता है. जोंक के इस कदर सफाई से खून चूसने में उसके शरीर के सिरे पर तरफ मौजूद चूसक भी अपनी कलाकारी दिखाते हैं.
अक्सर हमने बड़े-बुजुर्गों को यह भी कहते सुना है कि जोंक के खून चूसने पर इतना घबराने की जरूरत नहीं है, इसके बाद कई बीमारियाँ नहीं होंगी. सहज ही कही जानी वाली इस बात में गजब की सच्चाई है. भारत में प्राचीन समय से ही जोंकों के द्वारा कई रोगों का इलाज किया जाता रहा है. जोंक द्वारा इलाज किये जाने की इस चिकित्सापद्धति को जलोकावरण और रक्तमोक्षण कहा जाता है. रक्तमोक्षण का अर्थ है खून को शरीर से मुक्त करना. इस विधि में जोंक की मदद से अशुद्ध रक्त को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है.
जलोकावरण यानी लीच थेरेपी से कील-मुहांसे, सोरायसिस, गंजापन, गैंग्रीन डायबिटीज, दाद, डैंड्रफ और फंगल इन्फेक्शन आदि कई बीमारियों में फायदेमंद है. जोंक की लार में हीरूडीन, हिपेरिन, बेडलीन, केलिन जैसे कई रसायन पाए जाते हैं जो विभिन्न बीमारियों में कारगर हैं.
जोंक एनेलीडा परिवार के हिरुडीनिया उपवर्ग का उभयलिंगी परजीवी है. यह पहाड़ों के अलावा मैदानी इलाकों में भी नमी वाली जगहों पर पायी जाती है. अंग्रेजी में लीच कही जाने वाली जोंक इस समय पूरी दुनिया में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही है. आप जिस जोंक के खून चूसने पर ऐतराज है विदेशों तक में लोग उससे खून चुसवाने का पैसा दे रहे हैं.
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