पहाड़ में श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा ‘उपकर्म’ व ‘रक्षासूत्र’ बंधन का पर्व व त्यौहार है. द्विज वर्ग उपवास रखते हैं और स्थानीय जल स्त्रोत, नौले, नदियों के संगम या नदी में वेद मन्त्रों के उच्चारण के साथ स्नान करते हैं. गाँव में किसी शिव मंदिर देवालय या प्रबंध करने में सक्षम व्यक्ति के घर में लोग इकठ्ठा होते हैं और ऋषि तर्पण किया जाता है. पितृ तर्पण व अन्य अनुष्ठान भी किए जाते हैं. वेद मन्त्रों का सस्वर पाठ होता है. सभी जगह से आई जनेऊ व रक्षा धागों की प्रतिष्ठा की जाती है. स्नान ध्यान व प्रतिष्ठा के उपरांत उचित मुहूर्त में जनेऊ बदली जाती है. साल भर के उपयोग के लिए यज्ञोपवीतों को मंत्र प्रतिष्ठित कर संभाल दिया जाता है.
(Jnyo Punyu Tradition Uttarakhand)
हर वर्ष रक्षा बंधन उपाकर्म पर सामवेदियों को छोड़ कर पुरानी जनेऊ प्रवाहित कर नई जनेऊ धारण की जाती है. पुरानी जनेऊ उतारने में निम्न श्लोक उच्चारित किया जाता है :
एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वम् धारितं मया
जीर्ण त्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुख.
नई जनेऊ धारण करने पर लिपटी हुई जनेऊ को सावधानी से खोल कर बाएँ कंधे पर दाहिनी भुजा के नीचे निम्न श्लोक के उच्चारण के साथ धारण किया जाता है :
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेयर्तत्सहजं पुरस्तात
आयुष्यमग्र प्रतिमुञ्च शुभ्रम यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः
गाँव में पंडित, पुरोहित गुरू व परिवार के बड़े बूढ़े द्वारा कलावा बांधा जाता है. बहनों द्वारा भाई के हाथ में राखी के धागे बांधे जाते हैं. पंडित लोग अपने अपने यजमानों के घर जा उन्हें जनेऊ देते व रक्षा सूत्र बांधते हैं.
(Jnyo Punyu Tradition Uttarakhand)
कथा है कि राजा बलि के अति आत्म विश्वास व अभिमान की परीक्षा श्रावण पूर्णिमा के ही दिन विष्णु भगवान ने वामन अवतार ले कर की. तभी ब्राह्मण अपने जजमानों को रक्षा सूत्र पहनाते इस मंत्र को पढ़ते हैं:
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महा बलः
तेन त्वामनु बन्धामि मा चल मा चल.
बच्चों के हाथ में रक्षा सूत्र बांधते निम्न मंत्र पढ़ा जाता है :
यावत गंगा कुरुक्षेत्रे यावततिष्ठति मेदिनी,
(Jnyo Punyu Tradition Uttarakhand)
यावत राम कथा लोके,
तावत जीवेद बालकः / बालिकाः
जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.
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