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आज से एक महीने तक घी से ढका रहेगा जागेश्वर ज्योतिर्लिंग

आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में ज्योतिर्लिंग को घी से ढकने के परम्परा पूरी की गयी. प्रत्येक वर्ष माघ माह की पहली गते को गाय के घी को पानी में उबालकर इससे ज्योतिर्लिंग को ढक दिया जाता है. फागुन महीने की संक्रांति के दिन इसे खोला जाता है.
(Jageshwar Dham Jyotirling)

इस दौरान भक्त जन ढके हुये जागेश्वर ज्योतिर्लिंग की ही पूजा अर्चना करते हैं. फागुन के महीने यह घी भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. माना जाता है कि आज से भगवान शिव एक माह के लिये तप पर जाते हैं. भगवान शिव को किसी प्रकार की असुविधा न हो इस कारण से घी के लेप से एक गुफा का आकार बना कर ज्योतिर्लिंग ढक दिया जाता है.

ज्योतिर्लिंग को माघ के महीने में इस तरह से ढकने की परम्परा जागेश्वर के अतिरिक्त बागनाथ में भी होती है. बागनाथ में भी माघ के महीने शिवलिंग को घी के लेप से ढका जाता है. गढ़वाल के कमेलश्वर मंदिर से हिमांचल के मंदिरों में इसप्रकार की परम्परा देखी जाती है.
(Jageshwar Dham Jyotirling)

जागेश्वर मंदिर समूह उत्तराखंड के सबसे पवित्र मंदिर समूहों में एक माना जाता है. यह भगवान शिव का आठवां ज्योतिर्लिंग माना गया है. अल्मोड़ा शहर से 37 किमी की दूरी पर यह समुद्र तल से 1,870 मी की ऊंचाई पर स्थित है.  कुल 124 मंदिर वाले इस मंदिर समूह का निर्माण काल 9 वीं से 13वीं सदी के मध्य बताया जाता है.

स्कन्द पुराण के अनुसार आठवाँ ज्योतिर्लिंग, नागेश, दरुक वन में स्थित है. दंतकथा के अनुसार, भगवान् राम के पुत्र लव और कुश ने यहाँ यज्ञ आयोजित किया था जिसके लिए उन्होंने देवताओं को आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि उन्होंने ही सर्वप्रथम इन मंदिरों की स्थापना की थी. सावन के महीने में यहां पूरे माह भर मेला लगता है.
(Jageshwar Dham Jyotirling)

काफल ट्री डेस्क

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एक समय जागेश्वर में शव साधना किया करते थे अघोरपन्थी

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