Featured

हिट तुमड़ि बाटे-बाट, मैं कि जानूं बुढ़िया काथ : कुमाऊं की एक लोकप्रिय लोककथा

किसी गांव में एक बुढ़िया थी. बूढी और निर्बल बुढ़िया एक अकेले घर में रहती थी. एक साल जाड़ों के दिनों बुढ़िया को लगा कि शायद वह इस साल मर जायेगी. मृत्यु के भय से उसने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी के घर चली जाऊं, बुढ़िया अपनी लाठी लेकर अपनी बेटी के घर अकेले निकल पड़ी. Kumaoni Folklore

रास्ते में घनघोर जंगल था. बुढ़िया को बाघ मिल गया, बाघ ने कहा – आमा-आमा मैं तुझे खा जाता हूँ, बुढ़िया ने बाघ से कहा – नाती मेरी बूढी हड्डियां खाकर तेरा पेट कहाँ भरेगा, मैं अपनी लड़की के यहां जा रही हूँ वहां खूब खाकर मोटी हो जाऊंगी तो लौटते समय तू मुझे खा लेना. बाघ बुढ़िया की बात मान गया.

आगे चलते हुए जंगल में बुढ़िया को भालू और शेर भी मिले. बुढ़िया ने दोनों को भी बाघ वाली बात कहकर पीछा छुटाया. डरी हुई बुढ़िया बेटी के घर पहुंची, बेटी ने पूछा तो बुढ़िया ने उसे कुछ नहीं कहकर बात टाल दी.

लड़की अपनी ईजा को रोज घी, दूध, पूरी, खीर खिलाती लेकिन बुढ़िया थी कि मोटे होने का नाम ही न ले. इतना खाने पर भी जब बुढ़िया मोटी नहीं हुई तो उसने फिर बात की. इसबार बुढ़िया बेटी को सारी बात बता दी. बेटी ने बुढ़िया से चिंता न करने को कहा. Kumaoni Folklore

जैसे-जैसे जाड़े के दिन गुजरते डर से बुढ़िया के प्राण सूखते जाते. आखिर जब बुढ़िया का बेटी के घर से विदा लेने का दिन आया तो बेटी ने ईजा की जेब में मिर्च वाला पीसा हुआ नमक डाल दिया और एक तुमड़ि में ईजा को बैठा दिया और उसके घर के रास्ते में तुमड़ि को गुरका दिया.

जंगल में बाघ भालू बड़े दिन से बुढ़िया की राह देख रहे थे. अब जब तुमड़ि बाघ के पास पहुंची तो उसने उससे पूछा तुमड़ि-तुमड़ि तूने रास्ते में किसी बुढ़िया जाते देखा, भीतर बैठी बुढ़िया को कुछ समझ नहीं आया तो वह बोली

हिट तुमड़ि बाटे-बाट, मैं कि जानूं बुढ़िया काथ.

शेर, भालू जो मिला उसने सबको यही कहा, तुमड़ि के बार-बार इस उत्तर पर शेर और बाघ को गुस्सा आ गया और उन्होंने तुमड़ि फोड़ दी. भीतर बैठी बुढ़िया को देखकर तीनों जानवर आपस में झगड़ने लगे.

तीनों को लड़ता देख बुढ़िया से तीनों को शांत कर कहा – ऐसे जो लड़ते रहोगे तो मुझे खाओगे कैसे? बुढ़िया ने तीनों को अपने पास बुलाया और झट से तीनों की आँखों में मिर्च वाला नमक डाल दिया और वहां से भाग गयी. Kumaoni Folklore

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

8 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

6 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago