समाज

हाल बेहाल है गोविन्द बल्लभ पन्त की जन्मस्थली का

अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 27 किमी की दूरी पर एक गांव है खूंट. भारत के इतिहास में इस गांव का परिचय पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त के जन्मस्थान के रूप में दर्ज है. Govind Ballabh Pant Village

इस गांव तक अल्मोड़ा से पक्की से सड़क जाती है, गांव में एक इंटर कालेज है, आईटीआई है और कुछ दूरी पर डिग्री कालेज भी है. गांव से होकर जाने वाली पूरी सड़क से हिमालय की लम्बी श्रृंखला देखी जा सकती है. Govind Ballabh Pant Village

मुख्य सड़क पर दो बड़े बोर्ड लगे हैं जिसमें एक पर दोनों तरफ़ भारतरत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त स्मारक लिखा है. दूसरा बोर्ड जंग से लगभग खत्म होने की स्थिति में है. पहले बोर्ड पर पं. गोविन्द बल्लभ पन्त संग्रहालय अल्मोड़ा लिखा है जिसका अर्थ हुआ कि यह उत्तराखंड सरकार के अधीन है.

इसी सड़क के नीचे की ओर आपके एक चमचमाता हुआ मकान सा कुछ दिखता है. चारों और दीवार से घिरा हुआ एक बड़ा कमरा जिसके अंदर गोविन्द वल्लभ पन्त की एक मूर्ति लगी है. कमरे में दो तस्वीरें हैं और दो बोर्ड.

एक बोर्ड पर गोविन्द बल्लभ पन्त की वंशावली लिखी गयी है दूसरे पर उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं के बारे में एक-एक पंक्ति. कमरा बाहर से बंद रहता है. आपको स्मारक में घुसने के लिए आस-पास के खेतों से कूद-फांद करनी पड़ती है.

इस चमकदार कमरे के पीछे एक पूरी और दो आधी दीवारों का एक ढांचा बना है. इस ढांचे की सबसे लम्बी दीवार पर पीछे की ओर लिखा गया है

पन्त जी के जन्म – भवन के अवशेष

इसके अतिरिक्त इस पूरे स्मारक में कुछ नहीं है. हां, स्मारक परिसर के ठीक सामने हिमालय का अद्भुत नज़रा दिखता है. पन्त के विशाल व्यक्तित्व का इस अद्भुत नज़ारे का जरूर असर रहा होगा.

मुख्य सड़क मार्ग पर पड़ने वाले इस गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन है. उत्तराखंड के सभी गावों की तरह यहां भी मुख्य समस्या रोजगार की है. क्षमता के अनुसार जो पलायन कर सकता था वह पलायन भी कर चुका है.

खूंट गांव में स्मारक स्थल की कुछ तस्वीरें देखिये :

-काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

पहाड़ से निकलकर बास्केटबॉल में देश का नाम रोशन करने कैप्टन हरि दत्त कापड़ी का निधन

हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…

2 weeks ago

डी एस बी के अतीत में ‘मैं’

तेरा इश्क मैं  कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…

2 weeks ago

शराब की बहस ने कौसानी को दो ध्रुवों में तब्दील किया

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…

3 weeks ago

अब मानव निर्मित आपदाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं : प्रोफ़ेसर शेखर पाठक

मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…

3 weeks ago

शराब से मोहब्बत, शराबी से घृणा?

इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…

3 weeks ago

वीर गढ़ू सुम्याल और सती सरू कुमैण की गाथा

कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…

3 weeks ago