Featured

जब पंडित हरिकृष्ण पन्त और पॉलफोर्ड ने उत्तराखंड को बिरही गंगा में आई भयानक बाढ़ से बचाया

9 सितम्बर का दिन था और साल था 1893. अलकनंदा की सहायक नदी बिरही गंगा लगभग 5000 मिलियन टन की चट्टानों के मलबे से अवरुद्ध हो चुकी थी. लगभग 5000 मिलियन टन का यह मलबा घाटी की ओर से 900 मीटर की ऊंचाई से आया था. इस मलबे ने बिरही गंगा नदी में 270 मीटर गहरी एक झील का निर्माण किया. झील सतह में 600 मीटर चौड़ी और आधार में 3 किमी लम्बी थी.
(Gohna Lake Disaster Chamoli)

यह माना जाता है कि इस झील में पानी भरने में लगभग एक साल का समय लगा. झील में रुका हुआ पानी तब गिरने लगा जब यह पूरा भर गया. इसकी वजह से हरिद्वार तक बाढ़ का खतरा बड़ गया. बाढ़ ने जन-धन की हानि को बचाने का जिम्मा पॉलफोर्ड और उनकी टीम पर आया.

पॉलफोर्ड और उनकी टीम ने गढ़वाल के जिला सर्वेयर पंडित हरिकृष्ण पन्त के साथ मिलकर बाढ़ की तीव्रता का अनुमान लगाया गया. सही समय पर निगरानी और समय से चेतावनी के लिये बिरही गंगा और हरिद्वार के बीच शानदार टैलीग्राफ सिस्टम बनाया गया.

मई 1894 को बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने वाले यात्रियों के रास्ते में बदलाव किये गये. यह रास्ता बाढ़ संभावित क्षेत्र से काफ़ी ऊंचाई पर बनाया गया था. चमोली और हरिद्वार के बीच आठ सस्पेंसन पुल को बाढ़ में बहने से बचाने के लिये निकाल दिया गया.

जैसा की पहले से अनुमानित था 25 अगस्त की रात मलवे से बना डैम टूट गया और 26 अगस्त की सुबह तक बाढ़ का पूरा पानी निचले इलाकों तक फ़ैल चुका था. इस बाढ़ में किसी भी व्यक्ति के मारे जाने की ख़बर रिपोर्ट नहीं की गयी. पंडित हरिकृष्ण पन्त और पॉलफोर्ड व उनकी टीम की मेहनत ने इस पूरे इलाके में होने वाली बड़ी जान-माल की हानि को सीमित कर दिया.
(Gohna Lake Disaster Chamoli)

2006 में गोहना झील क्षेत्र. फोटो: Earth Science India से साभार

इस घटना के 76 साल बाद 1970 में अलकनंदा घाटी ने एकबार फिर बड़ी त्रासदी का सामना किया. 20 जुलाई 1970 की रात जोशीमठ और चमोली के बीच बादल फटा. एक अनुमान के मुताबिक बादल फटने से घाटी में एक ही दिन में 15.9 x 106 टन मलवा आया था.

इस तबाही का आलम यह था कि 1894 में आई बाढ़ के बाद बची गौना या दुर्मी झील पूरी तरह से साफ हो गयी. बेलाकुची नाम का गांव 30 बसों के काफिले के साथ बह गया. चमोली से हरिद्वार के बीच 13 पुल हवा हो गये. बाढ़ में श्रीनगर का निचला हिस्सा पूरी तरह बह गया. बाढ़ में 70 लोगों की मृत्यु बताई गयी. यहां पुलिस के एक सिपाही का जिक्र किया जाना जरुरी है जिसकी समझदारी से 400 तीर्थयात्रियों की जान बच गयी.
(Gohna Lake Disaster Chamoli)

नरेश राना, सुनील सिंह, वाई.पी. सुन्दर्याल और नवीन जुयाल द्वारा करेंट साइंस में प्रकाशित लेख Recent and past floods in the Alaknanda valley का अनुवाद. पूरा लेख यहां पढ़ें:

Recent and past floods in the Alaknanda valley

काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

3 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

3 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

6 days ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

1 week ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

2 weeks ago