Featured

हर शुभ की पहचान गेरू और बिस्वार की जोड़ी गायब है

पहाड़ में कोई भी त्यौहार हो पारम्परिक कुमाऊनी घर गेरू की भिनी सुगंध से सरोबार हो जाया करते. एक समय ऐसा भी था जब दिवाली के समय के समय गेरू और बिस्वार की जोड़ी से सजे घर कुमाऊं की अपनी पहचान हुआ करते. हर शुभ की पहचान गेरू और बिस्वार की यह जोड़ी अब लगभग गायब है. ज़ायज भी है क्योंकि अब घर नहीं मकान बनते हैं. घर टूटकर बने मकानों में परम्परा के रंग और संस्कृति की खुशबू की उम्मीद कैसे की जा सकती है.       
(Geru Bisvar Aipan Traditional Kumaun Art)  

गेरू और बिस्वार की यह जोड़ी अब केवल मांगलिक अनुष्ठान या ठेठ पहाड़ी त्यौहारों में ही नजर आती है. कभी दिवाली के अवसर पर कुमाऊं के घर-घर ऐपण से सज जाते. औरतें गेरू के ऊपर सफ़ेद बिस्वार से हाथ की बंद मुट्ठी की मदद से घर के बाहर से अन्दर की ओर जाते हुए लक्ष्मी के पैर बनाती. मुट्ठी के छाप से बनी पैर की आकृति के ऊपर अंगूठा और उंगलियां बनाती और फिर लक्ष्मी के इन दो पैरों के बीच में एक पर गोल निशान या फूल की आकृति भी बना देती.

दक्ष पतली उंगिलयों से ऐपण बनाना पहाड़ की हर लड़की के जीवन में चित्रकला की पहली कार्यशाला हुआ करते. दिवाली पर देहरी पर डाले जाने वाले ऐपण मांगलिक कार्यों में बनाये जाने वाले ऐपण से पूरी तरह भिन्न हुआ करते है. देहरी पर बनाये जाने वाले ऐपण प्रकृति से अधिक जुड़े होते हैं.       
(Geru Bisvar Aipan Traditional Kumaun Art)

दौड़ती-भागती जिंदगी में ऐपण पक्के रंगों से ब्रश की सहायता से बनाए जाने का चलन बढ़ा. कुमाऊं के शहरों में बने पक्के मकानों में ऐपण भी पक्के रंगों से ही बनाये जाने लगे रहे हैं. अब तो प्लास्टिक स्टिकरों का चलन है. इसने ऐपण बनाने की मेहनत और दक्षता से तो छुटकारा मिल गया पर बाज़ार ने एकबार फिर हमारी परम्परा पर हावी हो गया.
(Geru Bisvar Aipan Traditional Kumaun Art)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 week ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

2 weeks ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

2 weeks ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

2 weeks ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

2 weeks ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

2 weeks ago