लॉ की पढ़ाई करते वक़्त हिन्दू लॉ की किताब में शादी के शीर्षक में एक शब्द पढ़ा था “स्त्रीधन” यानी विवाह के वक़्त जो उपहार (जेवर,चल अचल संपत्ति,और भी तमाम उपहार) नवेली वधु को दिया जाता है उस पर उसके अलावा किसी का दावा नहीं होता. ये सब पलायन कर वर के घर आ जाते हैं और तमाम उम्र ये परिवार के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उपयोगी होते हैं.
(Gaura Maisar Almora)
शादी के बाद चेलि अपने साथ मायके के मुल्क से ससुराल के मुल्क में केवल यही स्त्रीधन नहीं लाती बल्कि एक अलग बोली, एक अलग तीज त्यौहार, एक अलग रिवाज लाया करती है. आइये सीधे पूरी भूमिका को वहीं ले चलते हैं.
अल्मोड़ा जनपद का लमगड़ा ब्लॉक जिसे सालम क्षेत्र कह दिया जाता है, मल्ला सालम के ग्राम धूरासँगरोली में तमाम तीज त्यौहार वैसे ही हैं जैसे अन्य हिस्सों में. इन दिनों भादो बरस रहा है ये मौसम नंदा सुनंदा और गौरा महेश के लोक पूजन का मौसम है.
मूल रूप से नेपाल और पिथौरागढ़ में मनाए जानेवाला सातूं-आठूं त्यौहार हमारे क्षेत्र में हमारी जाड़ज्या बसन्ती जोशी के मायके से ससुराल में आने के कारण आया. लगभग 70 बरस की जाड़ज्या बताती हैं कि लगभग 50 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने तोक की देवरानी जेठानियों के साथ मिलकर गमरा मैसर पूजन शरू किया तब लोगों ने कौतूहल दिखाया जो आज पूरे क्षेत्र में मशहूर हो गया है.
(Gaura Maisar Almora)
लोग इस मौके पर गाँव की सीमा भी लांघ जाते हैं. छोटी बड़ी सभी स्त्रियां गौरा महेश की प्रतिमा के साथ नाचते गाते हुए देवता अवतरण से लेकर विदाई तक के गीत गाती हैं. जाड़ज्या की नातिन बबीता कॉलेज की पढ़ाई करती हैं और आँगन में लगभग 250-300 महिलाओं की खातिरदारी में लगी हैं और कहती हैं कि वो भी आमा की इस सौगात को अपने ससुराल तक ले जाएँगी.
इस वर्चुअल दुनिया में खिटपिट कर हम प्रेम की असफल तलाश करते हैं और स्नेह, नेह, असल कुशल की कितनी माया हमारा लोक सदानीरा नदियों की तरह बहा देता है. ये है असल स्त्रीधन जो पूरे परिवार समाज को बाँध के रखता है.
(Gaura Maisar Almora)
अल्मोड़ा के रहने वाले नीरज भट्ट घुमक्कड़ प्रवृत्ति के हैं. वर्तमान में आकाशवाणी अल्मोड़ा के लिए कार्यक्रम तैयार करते हैं.
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