हैडलाइन्स

आज गंगा दशहरा है

आज गंगा दशहरा है. पहाड़ों में इसे दसार या दसौर भी कहते हैं. इस वर्ष गंगा दशहरा 9 जून, 2019 को पड़ रहा है. कुमाऊं क्षेत्र के हिस्सों में इस दिन घरों के मुख्य दरवाजों के ऊपर और मंदिरों में गंगा दशहरा पत्र लगाया जाता है. कुमाऊं क्षेत्र में गंगा दशहरा मनाने की काफी पुरानी रीत है.
(Ganga Dashahara 2022 Uttarakhand)

गंगा दशहरा पत्र पुरोहितों द्वारा अपने यजमानों को घर-घर दिए जाने की परम्परा है. इन दशहरा पत्रों के बदले पुरोहितों को यजमान दक्षिणा में चावल इत्यादि देते हैं. पहाड़ों में यह माना जाता है कि इस पत्र के कारण प्राकृतिक आपदाओं और आसमान से गिरने वाली बिजली से घर की सुरक्षा होती है.

गंगा दशहरा पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्त पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. गंगा दशहरा की उत्तराखण्ड के पारम्परिक पर्वों में गणना नहीं होती यह माना जा सकता है कि यह उत्तराखण्ड में आकर बसने वाले पुरोहित वर्ग की देन है. (उत्तराखंड ज्ञानकोष )

दशहरा पत्र में जो श्लोक/मंत्र लिखा जाता है वह इस तरह है-

अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च
सुमन्तुजैमिनिश्चैव पञ्चैते वज्रवारका:
मुने: कल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चापि कीर्तनात्
विद्युदग्निभयं नास्ति लिखितं गृहमण्डले
यत्राहिशायी भगवान् यत्रास्ते हरिरीश्वर:
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा

गंगा दशहरा के संबंध है यह माना जाता है कि आज के दिन ही गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पहाड़ में हर छोटी-बड़ी नदी को गंगा का ही रूप माना जाता है. पहाड़ों में आज के दिन सभी लोग अपने आस-पास की छोटी-छोटी नदियों में स्नान करते हैं.
(Ganga Dashahara 2022 Uttarakhand)

सरयू व गोमती के संगम स्थल बागेश्वर तथा हरिद्वार में लोग इस दिन स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं. इस दिन लोग चीनी और कालीमिर्च का शरबत भी तैयार करते हैं. यह माना जाता है कि इस दिन यदि इस शरबत का सेवन किया जाय तो परिवार के लोग वर्ष पर्यन्त निरोग रहते हैं.

पुराने समय में ब्राह्मण अपने हाथों से गंगा दशहरा पत्र बनाकर यजमानों को देते थे लेकिन बदलते समाज में पहले इसके स्थान पर प्रेस में छपे हुए प्रिंटेड पत्र रिवाज में आये. आज कल तो यह भी देखा जाता है कि कोई-कोई अति चतुर पुरोहित चार पैसे बनाने के चक्कर में एक ही पत्र की सैकड़ों फोटो प्रतियाँ करवा कर अपने यजमानों को बांट देते हैं. इससे रिवाज भी बना रहता है, आस्था का बाल बांका नहीं होता और सभी खुश रहते हैं.
(Ganga Dashahara 2022 Uttarakhand)

गंगा दशहरा पत्र की फोटो देखिये:

फोटो : ज्ञान पंत की फेसबुक वाल से.
फोटो : चंद्रशेखर तिवारी की फेसबुक वाल से.
फोटो : गणेश पांडे की फेसबुक वाल से.


चंद्रशेखर तिवारी. पहाड़ की लोककला संस्कृति और समाज के अध्येता और लेखक चंद्रशेखर तिवारी दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र, 21,परेड ग्राउण्ड ,देहरादून में रिसर्च एसोसियेट के पद पर कार्यरत हैं.

उत्तराखण्ड के पारम्परिक परिधान व आभूषण

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

3 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

5 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

2 weeks ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago